नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश में स्टेशनों का नाम बदलने का सिलसिला जारी है। अब राज्य के मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी भी प्रदान कर दी गई है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। बता दें कि यूपी सरकार ने वाराणसी जिले में स्थित इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का अनुरोध केंद्र सरकार को भेजा था।
एयरपोर्ट सरीखी सुविधाओं से लैस मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन
मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन की कायाकल्प बदलने का श्रेय पूर्व सांसद और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को जाता है। 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने और रेल राज्य मंत्री बनने के बाद वाराणसी मंडुवाडीह स्टेशन को आधुनिक बनाया। शुरू से ही लोग इसका नाम बदलने की मांग कर रहे थे।
मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बनारस रखने का प्रस्ताव साल भर पहले अगस्त 2019 में तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह ने शासन को भेजा था। गृह मंत्रालय ने सोमवार को नाम बदलकर बनारस किए जाने का आदेश जारी कर दिया।
एयरपोर्ट सरीखी सुविधाओं से लैस मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर कुल आठ प्लेटफॉर्म हैं। वाराणसी-नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस, ग्वालियर के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस, खजुराहो के लिए लिंक एक्सप्रेस सहित आधा दर्जन प्रमुख ट्रेनों का संचालन इसी से होता है।
अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद ही बदला जाता है नाम
गृह मंत्रालय ने नाम बदलने के लिए वर्तमान दिशा-निर्देशों के मुताबिक संबंधित एजेंसियों से विचार-विमर्श करता है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वह किसी भी स्थान का नाम बदलने के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय, डाक विभाग और सर्वे ऑफ इंडिया से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद ही मंजूरी देता है।
अधिकारी ने बताया कि किसी गांव या शहर या नगर का नाम बदलने के लिए शासकीय आदेश की जरूरत होती है। किसी राज्य के नाम में बदलाव के लिए संसद में साधारण बहुमत से संविधान में संशोधन की जरूरत होती है। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बनारस का पुराना गौरव सहेजने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।
मुगलसराय और इलाहाबाद का भी बदला गया नाम
2017 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, योगी आदित्यनाथ सरकार ने एमएचए को भारतीय जनसंघ के विचारक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए अनुरोध किया था। जिसके बाद केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ यह स्टेशन पंडित दीनदयाल के नाम से ही जाना जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने दो साल पहले इलाहाबाद का नाम भी बदलने के लिए आवेदन किया था जिसके बाद इसे बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था।