लखनऊ : भारत और चीन के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने एक बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार ने चीन की तमाम कंपनियों समेत कुछ अन्य पड़ोसी देशों की कंपनियों को बैन कर दिया गया है। वहीं अब ये कंपनियां उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी प्रोजेक्ट में टेंडर नहीं डाल सकेंगी। यूपी सरकार ने आदेश जारी किया है कि अब किसी भी सरकारी काम में पड़ोसी देश की कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा।
दरअसल, यूपी सरकार का ये फैसला चीनी कंपनियों को टेडर्स के अलग रखने के लिए है। वहीं सरकार ने नियमों में ऐसे प्रावधान किए हैं कि अब चीनी कंपनियां आसानी से सरकारी काम में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। सीएम योगी की ओर से ये आदेश सभी विभागों को भेज दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यूपी सरकार के इस फैसले के बाद चीनी कंपनियों को भारी नुकसान होने वाला है।
रजिस्ट्रेशन से पहले लेनी होगी रक्षा मंत्रालय से अनुमति
सूत्रों के अनुसार राज्य के सभी सरकारी टेंडर्स में हिस्सा लेने के लिए मौजूदा नियमों को और सख्त कर दिया गया है। यूपी सरकार एक सक्षम प्राधिकरण बनाएगी। संबंधित देशों की कम्पनियों को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। साथ ही नियमों में ये भी कहा गया है कि रजिस्ट्रेशन से पहले विदेशी कंपनियों को रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से राजनीतिक सहमति अनिवार्य होगी।
इसके अलावा कंपनियों को गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी अनुमति लेना भी आवश्यक होगा। प्राधिकरण में इस बात का विवरण रहेगा कि कितनी कंपनियों के आवेदन आए, कितनों के निरस्त किए गए और कितने आवेदन मंजूर किए गए। वहीं रजिस्ट्रेशन करवाने वाली हर कम्पनी की रिपोर्ट हर तीन महीने बाद केंद्र को भेजी जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की रक्षा के लिए इस तरह के कदम उठाए गए हैं।
बता दें कि भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच इस साल जून माह में केंद्र सरकार ने सभी सरकारी खरीद के लिए मौजूदा ई-कॉमर्स पोर्टल पर बिकने वाले प्रोडक्ट के लिए ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ बताना अनिवार्य कर दिया था। माना जा रहा है कि इस फैसले से चीनी कंपनियों को बहुत अधिक हानि होने वाली है। योगी सरकार का नया आदेश भी इसी नियम के तहत आया है।