बॉलीवुड की दिग्गज मशहूर अभिनेत्री सुरेखा सीकरी लोग इन्हे ‘बालिका वधू’ की दादी-सा के नाम से भी जानते हैं। सुरेखा सीकरी ने जीने की एक मिशाल कायम की है। वही कहा जाता है कि जीने का जज़्बा हो तो मौत के मुंह से भी लौटकर आया जा सकता है। उन्हें मुंबई के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अब उनकी हालत पहले से सही है और वह अब घर लौट आई हैं। फिलहाल उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में वक्त लगेगा। उन्हें लगातार फिज्योथेरेपी भी करवानी पड़ेगी। इंडस्ट्री में वह काफी समय से काम कर रही है।
दादी-सा का रोल निभाने के बाद मिली बड़ी पहचान
सुरेखा सीकरी लॉकडाउन के बाद भी काम करने के लिये तैयार थीं। वह 3 बार नेशनल अवॉर्ड विजेता रह चुकीं है। वह अपने लिये काम की तलाश कर रही थीं, लेकिन उसी समय उन्हें दूसरी बार ब्रेन स्ट्रोक हो गया। सुरेखा सीकरी को बड़ी पहचान सीरियल ‘बालिका वधू’ में दादी-सा का रोल निभाने के बाद मिली थी। तब से उन्हें लोग बालिका वधु की दादी के नाम से भी जानते है।
1976 से एक्टिव है एक्टिंग में
हालांकि सीरियल में उन्होने आनंदी की दादी-सास का रोल निभाया था। वह फिल्म ‘बधाई हो’ में आयुष्मान खुराना की दादी के रोल में दिखी थीं। आज के दर्शकों ने हमेशा दादी के रोल में देखा है। झुर्रियां पड़ा चेहरा, दुबली पतली काठी लेकिन कड़क और दमदार आवाज सुरेखा सीकरी की पहचान है। बता दे सुरेखा कभी इतनी खूबसूरत भी हुआ करती थीं। सुरेखा सीकरी साल 1976 से एक्टिंग की दुनिया में हैं।
तीन बार बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड भी लिया हासिल
साल 1976 में रिलीज़ हुई पॉलिटिक्ल ड्रामा ‘किस्सा कुर्सी का’ से उन्होने अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत की थी। फिर उन्होने ‘तमस’, ‘परिनीती’, ‘नसीम’, ‘सरदारी बेगम’,’मम्मो’, ‘हमको दीवाना कर गये’ और ‘बधाई हो’ जैसी फिल्मों में काम किया। ‘तमस’, ‘मम्मो’ और ‘बधाई हो’ के लिये सुरेखा सीकरी ने तीन बार बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड भी हासिल किया । सुरेखा सीकरी ने अपनी अदाकारी का लोहा मनावाया। ‘बालिका वधू’ समेत ‘परदेस में है मेरा दिल’, ‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘सात फेरे’, ‘बनेगी अपनी बात’ जैसे प़ॉपुलर सीरियल्स में उन्होने अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ी। बालिका वधू की दादी सा के तौर पर उन्हें आज भी घर-घर में पहचाना जाता है। शायद ही कोई जानता होगा कि सुरेखा सीकरी एक्टर नहीं बल्कि पत्रकार बनना चाहती थीं।
पत्रकार बनना चाहती थीं सुरेखा
यही नहीं सुरेखा पढ़ाई में हमेशा अव्वल आती थीं, इसी कारण वह पत्रकार या लेखक बनना चाहती थीं। 19 अप्रैल 1945 को जन्मी सुरेखा सीकरी ने अपना बचपन नैनीताल और अल्मोड़ा में बिताया था। एक्टिंग की दुनिया में लक से आयी। अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी की छात्रा रही सुरेखा एक बार ‘द किंग लियर’ नाटक देखने पहुंची। वह इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एड्मिशन भी ले लिया। और 1971 में NSD से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और वही जॉब भी की।
फिल्मों का लिया रूख
साल 1976 में उम्होने फिल्मों का रूख कर लिया। उनका विवाह हेमंत रेगे से हुआ था और 2009 में हेमंत रेगे का देहांत हो गया था। सुरेखा के परिवार में उनका एक बेटा राहुल सीकरी है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सुरेखा सीकरी और बॉलीवुड अभिनेता नसीरूद्दीन शाह के बीच बेहद खास रिश्ता है। सुरेखा की बहन परवीन नसीरूद्दीन शाह की पहली पत्नी थी। जो अब इस दुनिया में नहीं है। नसीरूद्दीन और परवीन की एक बेटी हिबा शाह है । बालिका वधू में हिबा को यंग दादी सा मतलब कल्याणी देवी का रोल निभाया था। अदाकारी की दुनिया में आए सुरेखा सीकरी को 49 साल का वक्त बीत चुका है। इस लंबे सफर में उन्होने कई यादगार किरदार निभाए हैं और अब एक मुश्किल बीमारी से जंग लड़ने के बाद वह फिर से सामान्य जीवन की तरफ लौट रही हैं। उन्होंने इंडस्ट्री में काफी समय व्यतीत किया है।