Bangladesh: हमारे पड़ौसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले गई दिनों से ही हालत नाजुक है। वहाँ अगले साल चुनाव होने है। ऐसे में हर पार्टी बांग्लादेश में सत्ता पाने की जद्दोजहद में लगी हुई है। वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमात-ए-चारा मोनी के प्रमुख पीर मुफ्ती सैयद मुहम्मद फैजुल करीम ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक साक्षात्कार में साफ कहा है कि अगर उनकी पार्टी आगामी राष्ट्रीय चुनावों में सत्ता में आती है, तो वे तालिबान शासित अफगानिस्तान की तर्ज पर देश में सख्त शरिया कानून लागू करेंगे।
बांग्लादेश में जल्द ही आने वाला है शरिया कानून
एक साक्षात्कार में फैजुल करीम ने खुलकर कहा कि, “अगर हमारा ‘इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश’ राष्ट्रीय चुनाव जीतकर बांग्लादेश (Bangladesh) में सरकार बनाने में सफल होता है, तो हम निश्चित रूप से देश में शरिया कानून लागू करेंगे।” इतना ही नहीं फैजुल करीम ने अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान शासन प्रणाली की भी खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “हम अफगानिस्तान की शासन प्रणाली को अपनाएंगे। तालिबान सरकार ने जो भी अच्छे कदम उठाए हैं, हम उन्हें बांग्लादेश में भी लागू करेंगे।”
फैजुल करीम ने किया बांग्लादेश में एलान
हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर उनकी पार्टी बांग्लादेश (Bangladesh) की सत्ता में आती है तो हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार शरिया के तहत सुरक्षित रहेंगे। फैजुल करीम ने आगे कहा कि, “अगर हम सत्ता में आए तो हिंदुओं को भी शरिया कानून में अधिकार मिलेंगे। अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी लागू किया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और रूस की अच्छी बातें जो शरिया कानून का उल्लंघन नहीं करती हैं, उन्हें बांग्लादेश में लागू किया जाएगा।
बांग्लादेश में लगा शरिया कानून तो क्या होगा हाल?
हालांकि फैजुल करीम का यह बयान बांग्लादेश (Bangladesh) को विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला है। उसके धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर सीधा हमला है। जिसे तोड़ने में मोहम्मद यूनुस पहले से ही लगे हुए हैं। शरिया कानून लागू होने का मतलब है कि बांग्लादेश में महिलाओं को पूरी आजादी से वंचित कर दिया जाएगा और उन्हें घर में कैद कर दिया जाएगा। जैसा कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में हो रहा है।
बांग्लादेश के कानून से भारत में क्या पड़ेगा प्रभाव?
अगर बांग्लादेश (Bangladesh) में इस्लामी चरमपंथियों का प्रभाव बढ़ता है और वे सत्ता में आते हैं तो यह ना केवल देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान को हमेशा के लिए नष्ट कर देगा। बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए भी खतरे का संकेत होगा। बांग्लादेश की भारत के साथ लंबी सीमा लगती है और दोनों देशों के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बहुत गहरे हैं। ऐसे में तालिबानी सोच का प्रवेश पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। लेकिन मोहम्मद यूनुस का प्रशासन ऐसी ताकतों को मौन समर्थन दे रहा है। जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठन खुलेआम काम कर रहे हैं और उन्हें यूनुस प्रशासन का समर्थन प्राप्त है।
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