एआईडीएएन ने भारत के बायोटेक के को वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड के लिए की गई सिफारिश को लेकर काफी ज्यादा हैरानी जताई है। म्यूटेन स्ट्रेन को देखते हुए ट्रायल देने की मंजूरी की अपील ने काफी ज्यादा उलझन में डाल दिया है। एआईडीएएन ने इस बारे में कहा है कि, वैक्सीन की प्रभावकारिता का डाटा ना हो पाने की वजह से काफी चिंताजनक स्थिति बनी है।
बिना परीक्षण किए हुए प्रोडक्ट को आम जनता में उपयोग के लिए लाने और पारदर्शिता की कमी होने के डीसीजीआई से अपील कर रहे हैं कि, वह कोवैक्सीन को आरईयू अप्रूवल देने की एसईसी की सिफारिशों पर एक बार फिर से विचार कर ले।
हम आपको बता दें कि, प्रकाशन से पहले की प्रिंट केवल इंसानों पर किए गए पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में करीब 755 प्रतिभागियों का डाटा उपलब्ध हुआ। एआईडीएएन का कहना है कि- एसईसी जो भी निर्णय लिया उसके आधार पर परीक्षण के द्वारा सामने आए आंकड़ों को तुरंत सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए। ऐसे में भारत की तरफ से बायोटेक को वैक्सीन को किस आधार पर एसईटी ने आरईयू अप्रूवल और क्लिनिकल ट्रायल को लेकर सिफारिश की?
स्पष्टता को लेकर कहा कि, वह वैक्सीन वायरस के नए स्टैंड को लेकर यह प्रभावित होने वाली है या नहीं? यह बात केवल कल्पना के आधार पर ही संभावना जताई जा रही है कि वायरस के म्यूटेशन के खिलाफ यह वैक्सीन प्रभावी होने की संभावना हो सकती हैं। इस दावे को स्पष्ट प्रभावकारिता का कोई भी डेटा अब तक सामने नहीं आ सका है। हैरानी हो रही है कि, किस वैज्ञानिक तर्क ने एस ई सी के विशेषज्ञों को वैक्सीन के लिए इतनी तेजी से अप्रूवल देने के लिए प्रेरित कर दिया?
कोविशील्ड वैक्सीन के बारे में एआईडीएएन का कहना है कि, ‘यह वैक्सीन डोज इन रेजिमेंट और डोजिंग शेड्यूल के लिए प्रभाव कारिता के अनुमानों को जानना भी जरूरी है। बात की जाए पारदर्शिता और लोक कल्याण के हित को लेकर तो हम यह भी समझना चाहते हैं कि, नियामक ने इस तरह के निर्णय किस आधार पर लिए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि, ब्रिटेन के एमएचआरए का एस्ट्रेजनेका और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की समीक्षा को लेकर जानकारी में काफी अभाव हुआ है’।
सीरम इंस्टीट्यूट/आईसीएमआर के दूसरे और तीसरे चरण का सुरक्षा और प्रतिरक्षा का भी अंतरिम डाटा उपलब्ध नहीं हो सका है। अगर परीक्षण के द्वारा सामने आए डेटा रेगुलेरिटी अप्रूवल की प्रक्रिया के समय इसकी समीक्षा नहीं की गई, तो इससे भारतीय जनसंख्या में वैक्सीन के उम्मीदवारों का आंकलन करने के लिए अध्ययन का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है।