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ऐसा कई बार सुना और देखा जाता है कि गांव में सुविधाएं न होने पर बच्चे घर से दूर रहकर पढ़ाई करते हैं और कितना अच्छा होता है जब आपके इस त्याग से आपकों बड़ी सफलता हासिल हो, कुछ ऐसी ही एक कहानी IAS अफसर सुमित कुमार की है. जो महज़ 8 साल की उम्र में अपना घर छोड़ कर चले गए थे. दरअसल सुमित बिहार के एक जिले के रहने वाले हैं, जहां पढ़ाई की पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी.

इस वजह से उनको महज़ 8 साल की उम्र में अपने माता-पिता से मजबूरी में दूर होना पड़ा था, लेकिन उन्होनें अपने इस त्याग को व्यर्थ नहीं जाने दिया और साल 2018 में अचानक अपने घर वापस आकर अपने माता-पिता को दोगुनी खुशी दे डाली. इसमें एक उनके घर वापस आने की और दूसरी उनके IAS अफसर बनने की खुशी थी. तो आइए एक बार सुमित के इस बड़े त्याग वाली सफलता पर नज़र डालते हैं..

IAS सुमित कुमार की कहानी

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IAS सुमित कुमार बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा गाँव का रहने वाले हैं. उनके पिता सुशाल वणवाल बहुत ही गरीब थे और हर एक माँ बाप का सपना होता है की उनके बच्चे कुछ बड़ा बने ठीक ऐसे ही सुमित के पिता का भी सपना था कि उनका बेटा कुछ बड़ा बने, लेकिन गाँव में पर्याप्त साधन न होने के कारण सुमित को आठ साल की उम्र में ही घर छोड़ना पड़ा, ताकि वह भविष्य में कुछ बन सके और 2009 में इंटर परीक्षा पास की जिसके तुरंत बाद ही उनका आईआईटी(IIT)  कानपूर में चयन हो गया था. जिसके बाद उन्होंने वहां से बीटेक(B.Tech) की पढाई पूरी की, जिसके शानदार नतीजों के बाद उन्होंने यूपीएससी(UPSC) की परीक्षा देने की ठान ली थी.

दो बार पास की थी UPSC की परीक्षा

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आपको बता दें कि, सुमित कुमार को 2017 की यूपीएससी (UPSC) परीक्षा में 493वीं रैंक मिली थी और डिफेंस कैडर मिला था लेकिन उन्होंने दोबारा यूपीएससी (UPSC) परीक्षा देने का फैसला किया और साल 2018 में 53वीं रैंक के साथ टॉप करके इतिहास रच दिया, उनके IAS अफसर बनने की खुशी से परिवार के सदस्य बहुत खुश हुए थे.

वो अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को ही देते हैं, जिन्होंने उनके उज्जवल भविष्य के लिए कड़े फैसले लिए सुमित ने 2007 में मैट्रिक और 2009 में इंटर की परीक्षा पास की और  2009 में ही उनका चयन आईआईटी (IIT) के लिए हुआ और उन्होंने आईआईटी(IIT) कानपुर से बीटेक(B.Tech) की पढ़ाई पूरी की थी.

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