ट्रांसजेंडर

यह बात सही है कि ट्रांसजेंडर हाशिए पर खड़ा एक ऐसा समुदाय है, जिसके पास स्वास्थ्य से लेकर निजी जिंदगी की सुविधाओं की पहुंच बहुत कम है. ये भी हम सब जानते हैं कि इस समुदाय के लोगों को अक्सर समाज में स्वीकारा नहीं जाता है. जिसकी वजह से एक ट्रांसजेंडर की चिंता उसे मानसिक बीमारियों की तरफ ले जाती है. लेकिन इन सभी परेशानियों को जो पार कर जाता है उसी को एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है.

एक ऐसी ही कहानी के बारे में आज हम बात करने वाले हैं. दरअसल, जैसमिन वाइन नाम की एक ट्रांसजेंडर है जो एक वक्त अपनी जिंदगी में समाज के तानें , मजाक सून कर इतना तंग आ चुकी थी कि उसने सुसाइड करने तक का फैसला ले लिया था. लेकिन कुदरत को कुछ और ही पसंद था. जिससे उनकी जिंदगी में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगा और आज वो अपनी जिंदगी  को खील कर जी रहीं हैं..

जानिए ट्रांसजेंडर जैसमिन की जिंदगी की तकलीफ

इस ट्रांसजेंडर की कहानी से आपकों भी मिलेगी प्रेरणा, हरदम खुश रहने की मिलेगी सीख

एक बार एक इंटरव्यू में जैसमिन ने अपनी और अपने जैसे सभी ट्रांसजेंडर की तकलीफों भरी जीवनगाथा को सभी लोगों के बीच में रखते हुए कुछ बाते कहीं थी. जिसकी शुरूआत उन्होनें सबसे पहले अपने स्कूल के दिनों को याद हुए की थी. जिसमें जैसमिन ने बताया कि स्कूल के दिनों में उन्हें उनके साथ पढ़ने वाले बच्चे हमेशा चिढ़ाते और मजाक बनाते रहते थे. इन सब से इतनी परेशान थीं कि महज़ 7 साल की छोटी सी उम्र में ही उनके मन में सुसाइड के ख्याल हावी होने लगा थे.

जैसमिन बताती हैं कि उनके घर में काफी लड़ाईं होती रहती थी उनके माता-पिता खाने से ज्यादा ड्रग्स को जरूरी समझते थे. वहीं उनके परिवार  किसी के पास भी नौकरी नहीं थी. बेशक जैसमिन पुरुष पैदा हुई हैं लेकिन उन्होंने कभी ऐसा फील नहीं किया कि वो उनकी बॉडी मेल की बॉडी की तरह है. लेकिन इस दौर में जैसमिन यह समझने लगी कि वो खुद को जाने बिना जिंदगी को जी नहीं सकती हैं.

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इस बात पर वो खूद बताती हैं कि जब मैं 14 वर्ष की हुई तो मैं अपने आप को डॉक्यूमेंट करके यूट्यूब पर अपने बदलाव के वीडियोज पोस्ट करने लगी, मुझे लोगों ने फीडबैक देना शुरू किया, उन्होंने मुझे साहस दिया, और इस दौर में आज मुझे मेरे बुरे वक्त ने जिंदा रखा है. लेकिन परिवार वालो को देखते-देखते जैसमिन को भी नशे की लत चुकी थी. यहां तक कि वो बाइपोलर और पैनिक डिसआर्डर से भी जूझ चुकी हैं.

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वो बताती हैं कि एक वक्त था जब उनका दिमाग भी उनका दुश्मन बन गया था और वो बहुत ज्यादा सोचने लगी थी लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इन सब बुरी चीजों से दूर जाने की कोशिश की और लगातार इसकी कोचिंग ली, अपने मनोवैज्ञानिक से बातचीत की, फिर वो खुद को जानने के प्रोसस की ओर बढ़ने लगी थी. तब जाकर उन्होनें खूद को एक ट्रांसजेंडर से परे हट कर एक अच्छी पहचान दिलाई.

Why to seek entertainment from Youtube, Facebook, TV etc.. when all the entertainment is in the chattering of our thoughts!