महाभारत

भारत में पौराणिक कथाओं का बहुत महत्व माना जाता है वहीं अगर इसमें रामायण और महाभारत की बात की जाए तो इन दोनों काव्यों का तो अर्थ ही दोनों को एक अलग पहचान दिलाता है. इनकी खास बात तो यह है कि अगर यह आज के दौर में भी टीवी पर आ जाएं तो दर्शक इससे मूंह नहीं मोड़ पाते, इन दर्शकों में खास तौर पर आज की युवा पीड़ी शामिल है. इन पौराणिक शोज को दिलचस्प बनाने के पीछे पूरा श्रेय इनके किरदारों, निर्देशकों और पूरी टीम को जाता है.

जिन्होंने इन काव्यों को लोगों के जेहन में पहुंचाने में एक खास भुमिका निभाई और इसके चलते आज दर्शक इन सभी सितारों के फैन बन चुके हैं, लेकिन खैर ये तो वो सितारें रहे जिन्हें आपने टीवी पर देखा और पसंद किया मगर सितारे तो कई ऐसे भी रहे जिन्होनें कैमरे के पीछे छिपकर भी इन कथाओं को देखने और सुनने में और भी दिलचस्प बनाया. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, महाभारत के सूत्रधार ‘समय’ की जिन्हें आप महाभारत के हर एक एपिसोड की शुरूआत में सुनते हैं ‘मैं समय हूं’.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ‘समय’ को आवाज देने वाले ये शख्स कौन हैं? अगर नहीं तो आइए आज हम आपको बताते हैं..

“मैं समय हूं”..

'मैं समय हूं' आवाज तो बहुत सुनी होगी अब चेहरा भी देख लीजिए!

बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी महाभारत ने सन् 80 के दशक में खुब वाहवाही बटोरी थी. इन वाहवाही में “मैं समय हूं” की आवाज देने वाले ‘हरीश भिमानी’ की तारीफ भी शामिल थी. इनकी आवाज ने न केवल महाभारत को देखने में और दिलचस्प बनाया बल्कि इस आवाज को सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था.

‘हरीश भिमानी’ जी का हर एक एपिसोड की शुरूआत में आकर महाभारत की कहानी को अपने शब्दों के साथ एक अलग आकार देना और लोगों के दिलों में देखने की उत्सुकता बढ़ाना ये सब कुछ लोगों को काफी पसंद आया.

कैसे मिला समय बनने का मौका?

'मैं समय हूं' आवाज तो बहुत सुनी होगी अब चेहरा भी देख लीजिए!

वैसे तो ‘हरीश भिमानी’ एक जाने-माने वॉइस आर्टिस्ट हैं, लेकिन महाभारत से जुड़ने का भी उनका एक दिलचस्प किस्सा है. दरअसल एक बार हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि

“मुझे ‘समय’ की आवाज बनने का मौका मिलने के पीछे महाभारत के शकुनि मामा यानी गूफी पेंटल जी का हाथ था. जब एक शाम मेरे पास कास्टिंग डायरेक्टर गूफी पेंटल का कॉल आया कि बीआर चोपड़ा के मैन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है. ऐसे में मैंने उनसे प्रोजेक्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी.”

“जब मैं स्टूडियो पहुंचा तो मुझे एक कागज दिया गया, मैं उसे पूरा कर पाता, उससे पहले ही उन्होंने मुझे बोला कि ये डॉक्यूमेंट्री जैसा लग रहा है, तो मैंने कहा हां और क्या है ये, उन्होंने मुझे तभी भी नहीं बताया, तो मैंने फिर से इसे पढ़ा, इसके बाद उन्होंने मुझे वहां से जाने के लिए कहा, ऐसे में मुझे लगा कि मेरा सलेक्शन नहीं हुआ, लेकिन फिर करीब 3 दिन बाद मुझे फिर से बुलाया गया, उस वक्त मैंने 6-7 टेक्स दिए, तब उन लोगों ने मुझे सब समझाया कि कैसे ‘समय’ को आवाज देनी है.”

तीसरी बार जब रिकॉर्डिंग हुई तो मैंने कहा कि आप लोग बोल रहे हैं कि मैं अपनी आवाज बदलूं, लेकिन अगर मैं आवाज बदलूंगा तो वो मजाकिया हो जाएगी, इसकी गंभीरता खत्म हो जाएगी, इसका टैम्पो बदला जाए, इस पर उन लोगों ने कहा सुनाओ, फिर मैंने उसी तरह डायलॉग बोलें, जैसे मैं सामान्य रूप से गंभीरता से समझाकर बोलता हूं, फिर मैंने वैसे ही बोलना शुरू किया, ‘मैं समय हूं’, इसके बाद वो फाइनल हुआ.

Why to seek entertainment from Youtube, Facebook, TV etc.. when all the entertainment is in the chattering of our thoughts!