Loan Moratorium

नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले है। चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनट की बैठक की गई। इस दौरान कई अहम फैसले लिए गए। इस बात की जानकारी कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने देते हुए यह भी बताया कि बैठक में लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) को लेकर कुछ अहम फैसले लिए गए हैं जो इन लोन का लाभ लेने वालों के लिए बड़ी राहत की खबर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 973.74 करोड़ रुपये की रकम के भुगतान को मंजूरी दे दी है।

Loan Moratorium

ग्राहकों के खाते में होंगे 973 करोड़ रुपये ट्रांसफर

आपको बता दें कि, इस बैठक में फैसला लिया गया है कि, 6 महीने के लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) अवधि में ब्याज के ब्याज पर छूट के तौर पर 973 करोड़ रुपये ग्राहकों को बैंक खाते में जमा करेगी। दरअसल बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 973.74 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मुआवजा राशि सरकार से देने की मांग की थी जो 1 मार्च 2020 से 31अगस्त 2020 के बीच छह महीने के लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) का लाभ लेने वाले बैंक ग्राहकों के बैंक खाते में चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि को ट्रांसफर किया जाना है।

Loan Moratorium

इन लोगों को भी मिलेगा फायदा

वहीं इसके पहले सरकार ने इस योजना के लिए 5500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था लेकिन एसबीआई की ओर से सरकार को बताया गया कि 6473.74 करोड़ रुपये के क्लेम मिले हैं जिसके बाद सरकार ने और 973.74 करोड़ रुपये देना मंजूर किया है। सरकार के इस फैसले से उन बैंक से कर्ज लेने वालों को लाभ मिलेगा, जिन्होंने कोरोना काल के छह महीने के लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर का मुआवजा राशि मिल पाएगी भले ही लोन लाने वाले ने मोरेटोरियम का फायदा लिया हो या नहीं। इससे छोटे लोन लेने वालों का बड़ा फायदा होगा जिन्हें महामारी के दौरान बैंक के लोन अदा करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

Loan Moratorium

कोरोना की पहली लहर को दौरान दी गई थी ईएमआई टालने की सुविधा

आपको बता दें कि कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान लगाए लॉकडाउन के चलते आरबीआई ने मार्च 2020 में लोगों को मोरेटोरियम (Loan Moratorium) यानी लोन की ईएमआई को 6 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। आरबीआई द्वारा कहा गया था कि अगर लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।

लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा। ब्याज की शर्त को कुछ ग्राहकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि मोरेटोरियम में इंटरेस्ट पर छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि ब्याज पर ब्याज वसूलना गलत है।