आज हम बात करने वाले है ऐसे शख्स के बारे में जिसने अपने जज्बे से महज 50 रूपये की नौकरी से लेकर भारतीय सेना में अफसर बनने तक का सफर तय किया. कहते है सफलता उसी के गले में वरमाला पहनाती है जिसमें मेहनत करने का जज्बा होता है. किसी खूब कहा है की गरीब पैदा होना आपकी गलती नहीं है गरीब मर जाना आपकी सबसे बड़ी गलती होती है.
आज हम बात करने वाले है बिहार के बालबांका की जिन्होंने मिलट्री में सिपाही से लेकर अफसर बनने तक सफ़र तय कर लिया.
आज भारतीय सेना के अफसर बालबांका कभी करते थे मजदूरी
आज हम बात कर रहे है बिहार के आरा जिले संबंध रखने वाले बालबांका की जिन्होंने बचपन से खूब संघर्ष किया है.बालबांका की पारिवारिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी की वो उन्हें पढ़ा सके, इसलिए बालबांका ने शुरू से ही मेहनत की है. वह महज 16 साल की उम्र में एक नमकीन फेक्ट्री में मात्र 50 से 100 रूपये दिन की दिहाड़ी पर काम करते थे. उनका काम 12-12 घंटो का होता था.
बालबांका ने अपनी 12 वीं की पढाई तो बिहार के आरा जिले से ही की थी उसके बाद वो अपने गाँव से निकल कर ओड़िशा के राउरकेला चले गये और वहां एक लोहे के कारखाने में मजदूरी करने लगे. इसके बाद उन्होंने एक नमकीन की फेक्ट्री में काम किया था.
आज है भारतीय सेना में बड़े अफसर
उन्होंने अपने काम के साथ अपनी पढाई को भी जारी रखा था. साल 2012 में भोपाल में EME सेंटर में अपने दुसरे ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली थी. जिसके बाद उन्होंने अगले 5 सालों तक एक सिपाही के तौर पर कार्य किया लेकिन नौकरी लगने के बाद भी बालबांका ने अपनी पढाई को नहीं छोड़ा क्योकि उनका सपना था की वो भारतीय सेना में एक बड़े अफसर बने.
जब बालबांका सिपाही की नौकरी कर रहे थे इस दौरान उन्होंने आर्मी कैडेट कॉलेज में अपनी पढाई को जारी रखा. नतीजन उन्हें साल 2017 ,में सफलता मिल गयी और आज बालबांका भारतीय सेना में एक अफसर के पद पर तैनात है. इसीके साथ वो अपने गाँव के पहले आर्मी अफसर बन गए है जिससे उनके परिवार के साथ उनका पूरा गाँव उनकी इस कामयाबी से खुश है.