माँ माजती थी घर घर जाकर बर्तन बेटे ने इसरो में वैज्ञानिक बन माँ का किया सपना पूरा. जी हाँ आपने सही सुना मुंबई के राहुल घोडके ने इसरो में इसरो में टैक्नीशियन के पद पर नौकरी हासिल करके अपनी माँ का नाम रोशन कर दिया है. कहते हैं अगर हिम्मत हो तो इंसान बड़े से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है. बस देर है कदम बड़ाने की मंजिल अपने आप आपके कदमो तले आ जाती है.
आज हम लेके आये हैं जज्बे से भरी एक सच्ची कहानी जिसे पढ़कर आपका भी जीवन में बड़ा मुकाम हासिल करने मन करने लगेगा. आइये जानते हैं कैसे किया राहुल घोडके ने अपनी माँ का सपना
पिता की मौत के बाद माँ करती थी घर-घर बर्तन साफ करने का काम
मुंबई के चेंबूर इलाके के रहने वाले राहुल घोडके के पिता की मौत तब हो गयी जब उनको अपने पिता की सबसे ज्यादा जरुरत थी. जब राहुल दसवी में थे तभी उनके पिता दुनिया छोड़ कर चले गए. पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी राहुल को उठानी थी. राहुल के पिताजी मजदूरी करके घर चलाते थे. इसलिए राहुल के घर में किसी भी प्रकार की जमा पूंजी नहीं थी.
जिससे राहुल अपनी आगे की पढाई जारी रख सके, लेकिन राहुल ने हिम्मत नहीं हारी और छोटे मोटे काम करके घर चलाने में माँ का साथ दिया. वहीं उनकी माँ भी घर घर जाकर लोगों के बर्तन और कपड़े धोकर ख़र्चा चलाती थी.
नहीं किया पढ़ाई से समझौता
घर में इतनी परेशानी के चलते राहुल ने अपनी पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं किया. हालाँकि वे 12 वीं में फ़ैल हो गए थे. इसके बाद राहुल ने चेंबूर के नजदीक गोवंडी में आइटीआई में इलेक्ट्रॉनिक कोर्स किया. लेकिन राहुल पढ़ाई-लिखाई में शुरू से ही तेज़ थे, इसलिए उन्होंने अपना आईटीआई का डिप्लोमा अच्छे नम्बरों से पास किया, जिसके बाद उन्हें एक प्राइवेट कंपनी एल एंडटी में नौकरी मिल गयी, जिससे उनको अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में आसानी हो गयी.
इसरो में मिली टेक्निशियन की नौकरी
जब राहुल को पता चला की इसरो ने डिप्लोमा इंजीनियर की नौकरी का विज्ञापन जारी किया है तो उन्होंने मन लगाकर मेहनत की और देशभर में आरक्षित परीक्षार्थियों की श्रेणी में तीसरे और ओपन में 17वें स्थान पर आए. अब 2 महीनों से राहुल इसरो में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत है.