सियाचिन की सर्द मौसम, बर्फीली सरहद पर देश के जाबांज सैनिक किन मुश्किलों करतें है सामना

जैसे हमारे भारत देश में किसा बिना किसी मौसम की परवाह किये बिना अन्न उगाते है. वैसे ही देश की सेना गर्मी,बरसात और ठंड में देश की सुरक्षा करती है. आपको पता ही होगा की सियाचिन का बार्डर चीन की सीमा के पास लगता है. चीन की नियत खराब होने की वजह से भारत को अपनी सेना सियाचिन जैसे ठंडे इलाके में भी अपनी सेना के तैनात करना पड़ता है.

आइये जानते है सियाचिन में ड्यूटी करने वाले सेनिकों को कौन-कौन सी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है.

सियाचिन में होता है माइनस 40-70 का तापमान

सियाचिन

आप सभी को लद्दाख की गलाने वाली ठंड के बारे में तो पता ही होगा.  किस प्रकार वहा की ठंड में लोगों का जीवन अस्त व्यस्त रहता है. इस तरह की ठंड में भी हमारे भारतीय सेना की वीर जवान साल भर वहां पूरी हिम्मत के साथ ड्यूटी करते है. बात करे सियाचिन के तापमान की तो वहां सालभर माइनस 40 से 70 के बीच रहता है. फिर भी सैनिक अपनी पूरी निष्ठां के साथ अपने कर्तव्य का पालन करते है.

सबसे मुश्किल सीमा

सियाचिन

आपको बता दें सियाचिन का बॉर्डर भारतीय सैनिकों के लिए सबसे खतरनाक होता है. यहां का तापमान किसी भी सैनिक की आसानी से जान ले सकता है. सियाचिन को विश्व का मुश्किल वॉरज़ोन एवं सबसे ऊंचा जगह माना जाता है. लगभग 21 हजार 700 फीट की हाइट पर सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी के दौरान भारतीय जवान बहुत सारी विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं.

सियाचिन

हम जिस तरह आसानी से ठंड में जीवन वय्तित कर लेते है वहीं सियाचिन बोर्डर में तैनात सिपहियों के लिए वहां खाना ग्रहण कर पाना भी दूभर होता है. लेकिन फिर भी हमारे जवान अपनी किसी भी तकलीफ को तकलीफ नहीं समझते.

सालभर रहता है एक तरह मौसम

सियाचिन

बता दें इस बोर्डर पर सालभर केवल ठंड का ही मौसम रहता है. वहां पर इतनी ठंड पड़ती है  रक्त दाब कम हो जाता है. अत्यधिक ठंड के कारण वहां सेनिक ड्यूटी के दौरान अपनी दैनिक क्रियाओं को भी अच्छे ढंग से नहीं कर पाते जैसे- नहाना, दातुन इत्यादि.

सियाचिन

फिर भी हमारे जवान गिनी-चुनी सुविधाओं में अपने कर्तव्यों का पालन करते रहते है. इस जगह पर हर समय हिमस्खलन का डर बना रहता है, हिमस्खलन की चपेट में आ जाने से कई सेनिकों की मौत तक हो जाती है.

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