मोदी सरकार जम्मू और कश्मीर घाटी में दोबारा से 4G इंटरनेट सेवा देने के लिए मन बना चुकी हैं। जम्मू- कश्मीर घाटी के हर एक शहर में ट्रायल के तौर पर 15 अगस्त के बाद 4G इंटरनेट की सेवा जल्द ही शुरू होने जा रही है। बता दें कि- मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जम्मू- कश्मीर में 4G बहाली की याचिका पर सुनाई के दौरान केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर के एक- एक जिले में हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा ट्रायल के तौर शुरू करने को तैयार हो गई है। इसके साथ ही 4 जी इंटरनेट की सेवा शुरू करने के दो महीने के बाद इसका रिव्यू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
मोदी सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट में पेश होते हुए कहा कि-‘ जिन इलाकों में 4G सेवा दी जा सकती है। पहले उन इलाकों की पहचान की जाएगी और फिर 4G सेवाएं देने का कार्य किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र के इस रुख की सराहना की है।
एजी ने कोर्ट को बताया कि- कुछ इलाकों में सख्त निगरानी के अधीन इंटरनेट प्रतिबंधों को चयनित क्षेत्रों में परीक्षण के आधार पर किया जा सकता है। उन्होंने अदालत को बताया कि- समिति का मानना है कि- शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों के लिए लैंडलाइन के जरिए से ब्रॉडबैंड की सुविधा उपलब्ध है। विशेष समिति का विचार है कि- कम हिंसा वाले इलाकों में उच्च गति के इंटरनेट को ट्रायल के आधार पर शुरू किया जा सकता है।
जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि ‘आपके द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हैं, लेकिन इस मामले में आदेश सार्वजनिक क्षेत्र में होना चाहिए।’ याचिकाकर्ता ने भी केंद्र और जम्मू और कश्मीर के लिए उठाए गए स्टैंड की भी सराहना की। एजी ने अदालत को सूचित किया कि- समिति सीमित क्षेत्रों में परीक्षण के आधार पर हाई स्पीड इंटरनेट की पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुई है।
केंद्र ने कहा है कि- 16 अगस्त से जम्मू और कश्मीर डिवीजन के प्रत्येक जिले में छूट दी जाएगी। हालांकि, 2 महीने बित जाने के बाद इंटरनेट सेवा शुरू करने का आंकलन भी किया जाएगा.
दो महीन के बाद इंटरनेट सेवा की समीक्षा की जाएगी
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ्ते के भीतर 4जी मोबाइल सेवा की समीक्षा करने के लिए स्पेशल कमेटी के गठन संबंधी पूरी जानकारी का जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। केंद्र, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि- कोर्ट के आदेशों के तहत इंटरनेट बैन की समीक्षा के लिए स्पेशल कमेटी का गठन किया गया है और कमेटी ने 4G संबंधी फैसले भी लिए हैं।
AG के के वेणुगोपाल ने कहा था कि- ये अवमानना का मामला नहीं है क्योंकि कमेटी का गठन किया गया है। कोर्ट ने कहा कि कुछ भी सार्वजनिक जानकारी में नहीं है।अदालत ने पूछा था कि क्या कमेटी के बारे में पब्लिक डोमेन में जानकारी दी गई है ? अदालत ने पूछा था कि जब मई के आदेश तहत कमेटी का गठन किया गया है तो इसे पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डाला गया? केंद्र ने कहा था कि वो जल्द ही सारी जानकारी का हलफनामा दाखिल करेगा।