Virender Sehwag : पूर्व भारतीय ऑलराउंडर और विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) किसी पहचान के मोहताज नहीं है। ‘नजफगढ़ के सुल्तान’ के नाम से मशहूर सहवाग क्रिकेट में ऐसा नाम है जिसे सुनकर अच्छे-अच्छे गेंदबाजों के पसीने छूट जाते हैं। ये बात तो सभी जानते हैं। पाकिस्तान के शोएब अख्तर हों या ऑस्ट्रेलिया के मैक्ग्राथ, क्रिकेट की दुनिया में ऐसा कोई स्टार गेंदबाज नहीं है जो सहवाग (Virender Sehwag) के आक्रमण से बचा हुआ हो।
क्रिकेट का विस्फोटक नाम Virender Sehwag
विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार रहे वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) भले ही आज टीम इंडिया का हिस्सा न हों, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की यादें आज भी भारतीय क्रिकेट फैंस के जेहन में ताजा हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग उन चंद खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें फैंस काफी मिस करते हैं। वो विस्फोटक बल्लेबाजी तो करते ही थे साथ ही विपक्षी टीम पर माइंडगेम में भी आगे रहते थे। सहवाग (Virender Sehwag) ने 104 टेस्ट मैचों में 50 से कम की औसत से 8586 रन बनाए। वहीं वीरू ने 251 वनडे मैचों में 35 की औसत से 8273 रन बनाए हैं।
सहवाग के बारे में 4 खास बातें
सहवाग (Virender Sehwag) कि बल्लेबाजी की सबसे खास बात उनका स्ट्राइक रेट रहा है। जो टेस्ट में 82 और वनडे में 104 रहा। जब भी वीरेंद्र सहवाग की चर्चा होती है, तो ये 4 बातें दिमाग में आती हैं। आइए बताते हैं उनके बारे में।
आक्रामक बल्लेबाजी
सहवाग (Virender Sehwag) को ऐसा बल्लेबाज माना जाता है जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया। उनकी बल्लेबाजी पूरी तरह से हाथ और आंखों पर निर्भर रही है। विकेट कैसा है? परिस्थितियां क्या हैं? और गेंदबाज कौन है? सहवाग ने इस बारे में कभी नहीं सोचा। क्रीज पर आते ही वह गेंदबाज पर टूट पड़ते थे।
पहली गेंद बाउंड्री पार
ओपनर जब पारी कि शुरुआत करने आता है तो संभलकर खेलता है और पिच के साथ गेंदबाज को भी परखता है। लेकिन वीरेंद्र (Virender Sehwag) जब भी क्रीज पर पारी कि शुरुआत करने आते तो वह पहली ही गेंद सीमा रेखा के पार पहुंचाते थे। वीरू को फैंस इसलिए याद करते हैं क्योंकि वह पहली गेंद पर चौका लगाते थे। सहवाग को सबसे ज्यादा इसी वजह से याद किया जाता है।
छक्का जड़कर सेंचुरी बनाना
आम तौर पर 50, 100, 150 और 200 रन तक पहुंचने वाला बल्लेबाज आराम से खेलना पसंद करता है। कोई भी बल्लेबाज ऐसे मौके पर छक्का लगाने के बारे में नहीं सोचेगा। लेकिन सहवाग (Virender Sehwag) ने एक बल्लेबाज के तौर पर अपने शतक और तिहरे शतक के मौके पर छक्का लगाया और अपने ही अंदाज में मुकाम हासिल किया। सहवाग ने कभी यह नहीं सोचा कि वह कितने रन बनाने के बाद खेल रहे हैं। अगर उन्हें (Virender Sehwag) लगा कि गेंद उनसे टकराने वाली है तो उन्होंने उसे बाउंड्री के पार भेज दिया। उन्होंने अपना तिहरा शतक भी छक्का लगाकर पूरा किया।
सहवाग का बेबाकपन
भारतीय क्रिकेट फैंस आज भी सहवाग (Virender Sehwag) को मिस करते हैं। हालांकि रिटायरमेंट के बाद सहवाग ने खुद को नए अंदाज में व्यस्त रखा है। सहवाग ट्विटर पर काफी एक्टिव रहते हैं और अपने ट्वीट से सभी का मनोरंजन करते हैं। साथ ही अगर वह कमेंट्री बॉक्स में भी बैठे है तो अपने बेबाक अंदाज एक लिए जाने जाते है। उनका (Virender Sehwag) ये रवैया फैंस को काफी अच्छा लगता है।
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