Amit Chaudhary
Amit Chaudhary : बहुत कम लोग होते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारते। कुछ की कहानी किसी को भी हैरान कर देगी। यह एक ऐसे युवक की कहानी है जो कभी कानून के शिकंजे में इस कदर जकड़ा हुआ था कि उस पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया। उस पर हत्या का आरोप था लेकिन खुद को निर्दोष साबित करने के लिए उसने कानून की पढ़ाई की।
जमानत मिलने के बाद उसने खुद ही अपना केस लड़ा। बारह साल बाद जब वह बरी हुआ तो मानो उसका पुनर्जन्म हो गया। एलएलएम कर चुका यह युवक अब नेट की तैयारी कर रहा है। इस युवक (Amit Chaudhary) का कहना है कि वह प्रोफेसर बनकर अपनी किस्मत बदलेगा।

जेल में रहते हुए बागपत के लड़के ने किया लॉ

Amit Chaudhary

दरअसल हम बात कर रहे हैं अमित चौधरी कि जो, मूल रूप से बागपत के किरठल गांव के रहने वाले हैं। एक पुलिसकर्मी की हत्या के आरोप में वह करीब ढाई साल जेल में भी रहा। सबने उसका साथ छोड़ दिया लेकिन अमित को खुद पर भरोसा था। साथ ही उसमें खुद को निर्दोष साबित करने का जुनून था। फिर वह वक्त भी आया जब कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। कड़ी मेहनत, लगन और लंबे संघर्ष की यह कहानी आज युवाओं के लिए मार्गदर्शक का काम कर रही है। इस घटना ने अमित (Amit Chaudhary) की जिंदगी बदल दी।

कुख्यात आतंकी के झूठे आरोपों में गया जेल

Amit Chaudhary

बताया जाता है कि 12 अक्टूबर 2011 को एक लाख रुपये के इनामी बदमाश सुमित कैल ने थाना भवन के गांव मस्तगढ़ की पुलिया पर पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनकी राइफलें लूट ली थीं। इसमें एक सिपाही की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना के बाद बदमाश भाग गए थे। इस मामले में पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया था। इसमें 17 लोगों के खिलाफ हत्या और सरकारी हथियार लूटने का केस दर्ज किया गया था। अमित (Amit Chaudhary) ने बताया कि उस समय उसकी उम्र 18 साल 6 महीने थी और वह बीए का छात्र था।

दो साल जेल में रहते हुए पूरी की लॉ की पढ़ाई

Amit Chaudhary

वह सेना में भर्ती होने का सपना देखता था, जिसके लिए उसने प्रैक्टिस भी की थी। उसने एनसीसी में सी सर्टिफिकेट हासिल किया था, लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था। अमित पर गैंगस्टर कानून लगा दिया गया। इस मामले में अमित 17 आरोपियों में से एक बना। जेल से बाहर आते ही अमित ने सबसे पहले ग्रेजुएशन, फिर लॉ और एलएलएम की पढ़ाई पूरी की।
लॉ के बाद अमित (Amit Chaudhary) ने खुद अपना केस लड़ा और आखिरकार अपने माथे पर लगे दाग को मिटाया। कांस्टेबल हत्याकांड के दौरान अमित चौधरी अपनी बहन के पास रहता था। लेकिन, इस मामले में 17 आरोपियों में उसका नाम भी जोड़ दिया गया। उसके (Amit Chaudhary) खिलाफ आईपीसी और एनएसए की कठोर धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए।

जेल से बाहर आते ही लड़ा खुद का केस

Amit Chaudhary

अमित (Amit Chaudhary) पर हत्या की साजिश रचने वाले कुख्यात कैल गैंग का हिस्सा होने का आरोप लगा। अमित चौधरी को दो साल तक जेल में रहना पड़ा। उस पर ऐसे आरोप लगे जो उसका भविष्य खराब कर सकते थे। अमित चौधरी के सामने परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। लेकिन, उसने इन हालात से भागने की बजाय लड़ने का फैसला किया।
खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए उसने लॉ की पढ़ाई की। बागपत के किरठल गांव का किसान का बेटा जेल जाने के बाद भी अपने संकल्प पर अड़ा रहा। जेल में उसकी मुलाकात कई अपराधियों से भी हुई। उसके पास अपराध का रास्ता अपनाने का भी विकल्प था। कुख्यात अपराधियों के बीच रहकर उसने (Amit Chaudhary) अपराध का रास्ता न अपनाने का फैसला किया।
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