कानपुर- विकास दुबे का बॉडीगार्ड रहा जिगनपुर से जिला पंचायत सदस्य गुड्डन त्रिवेदी और उसकी पत्नी गुढ़वा की प्रधान कंचन त्रिवेदी के शस्त्र लाइसेंस निरस्त होंगे। सीओ ने एसपी को इसकी रिपोर्ट भेज दी है। गुड्डन के पास राइफल, डबल बैरल बंदूक और पत्नी के पास रिवाल्वर का लाइसेंस है। गुड्डन भी विकास के साथ आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में आरोपी है। वह इस समय जेल में है।
वहीं दूसरी ओर मनमाने तरीके से राशन दुकानें चलाने वाले विकास दुबे के करीबी बिकरू व भीटी के कोटेदारों के लाइसेंस एसडीएम बिल्हौर ने निरस्त कर दिए हैं। ये पहले से निलंबित थे। कोटेदारों पर कालाबाजारी का मुकदमा दर्ज हो चुका है। दोनों से हड़पे गए राशन की रिकवरी भी होगी।
बिकरू कांड के दिन कहाँ थे शस्त्र होगी जांच
बिकरू में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। इसमें गुड्डन आरोपी है। उसे मुंबई में एटीएस ने गिरफ्तार किया था। अब वह माती जेल में है। गुड्डन को विकास दुबे का अंगरक्षक माना जाता है। अब गुड्डन और उसकी पत्नी के तीनों लाइसेंस निरस्त कर शस्त्र जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। सीओ ने इसकी रिपोर्ट एसपी को भेजी है। एसपी की रिपोर्ट पर डीएम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी। सीओ राम शरण सिंह ने बताया कि दोनों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
गुड्डन त्रिवेदी के शस्त्र निरस्त करने के साथ यह भी जांच शुरू हो गई है कि बिकरू कांड के दिन दो जुलाई की रात इनके शस्त्र कहां थे। हालांकि अभी तक पुलिस ने इनके शस्त्र कब्जे में नहीं लिए हैं। पुलिस की छानबीन में यह बात सामने आ रही थी कि विकास ने अपने जानने वालों को शस्त्रों सहित बुलाया था।
पहले भी हुआ निरस्त पर 4 माह में हुआ बहाल
गुड्डन वर्ष 1998 में विकास दुबे के संपर्क में आया था। उसके पास राइफल का लाइसेंस था। इससे वह राइफल लेकर बतौर अंगरक्षक विकास के साथ रहने लगा था। 12 अक्तूबर 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की कोतवाली में हत्या के आरोप में विकास दुबे जेल भेजा गया था। तब गुड्डन काफी समय के लिए भूमिगत हो गया था।
गुड्डन की गतिविधियां संदिग्ध होने की जानकारी पर 31 अक्तूबर 2002 को तत्कालीन एसपी ने उसका शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट डीएम को भेजी थी। तत्कालीन डीएम ने 13 जून 2003 को लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके चार माह बाद 13 अक्तूबर 2003 में फिर से शस्त्र लाइसेंस बहाल हो गया था।
विकास के समर्थकों को ही मिलता था राशन
बिकरू कांड के बाद गांव के कोटेदार दयाशंकर को पुलिस जेल भेज चुकी है। भीटी का कोटेदार धर्मेँद्र कुमार फरार है। ग्रामीणों के मुताबिक विकास दुबे का गांव में समर्थन करने वालों को ही अनाज मिलता था। जब राशनिंग विभाग की टीम ने कई साल बाद जांच की तो इसका खुलासा हुआ। कई महीने से लोगों को राशन नहीं मिला था। इसके बाद दोनों के लाइसेंस निलंबित कर जांच शुरू की गई।
डीएसओ अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि बिकरू और भीटी की राशन दुकानों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। जमानत राशि पांच-पांच हजार रुपए जब्त कर ली गई है। दुकानों का फिर से आवंटन होगा।