Bhuvneshwar Kumar: भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) ने अपने करियर का सबसे यादगार प्रदर्शन करते हुए टीम को मुश्किल से निकाल दिया और खुद भी ऐतिहासिक शतक जमाया। आमतौर पर तेज़ गेंदबाज के रूप में पहचाने जाने वाले भुवनेश्वर ने 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 128 रन की शानदार पारी खेली। इस पारी ने न केवल उनके बहुमुखी कौशल को साबित किया बल्कि टीम के लिए संकटमोचन की भूमिका निभाई।
Bhuvneshwar Kumar ने कूट डाले 128 रन

दुलीप ट्रॉफी 2012-13 के दूसरे सेमीफाइनल में भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) ने अपने करियर का सबसे यादगार प्रदर्शन किया। आमतौर पर तेज़ गेंदबाज के रूप में पहचाने जाने वाले भुवनेश्वर ने इस मुकाबले में 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए न केवल टीम को मुश्किल से निकाल दिया बल्कि खुद भी ऐतिहासिक शतक जमाया। उन्होंने 128 रन की शानदार पारी खेली, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का जीवंत उदाहरण बन गई।
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जड़े 13 चौके 3 छक्के
अपनी इस शतकीय पारी के दौरान भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) ने 13 चौके और 3 छक्के लगाए, जिससे टीम को मुश्किल समय में एक बड़ा स्कोर बनाने में मदद मिली। उनके इस प्रदर्शन ने यह साबित किया कि भुवनेश्वर केवल गेंदबाज नहीं बल्कि संकट की घड़ी में टीम के लिए भरोसेमंद बल्लेबाज भी बन सकते हैं।
कुछ ऐसा रहा मैच का हाल
भुवनेश्वर (Bhuvneshwar Kumar) जब आउट हुए, तब सेंट्रल जोन ने नॉर्थ जोन के सामने विशाल 469 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था। उनकी पारी ने टीम के मध्यक्रम और निचले क्रम को आत्मविश्वास दिया और मैच में दबदबा बनाए रखने में मदद की। इस शानदार योगदान के लिए भुवनेश्वर को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला।
मैच की दूसरी पारी में नॉर्थ जोन ने 4 विकेट खोकर 187 रन बनाकर सेंट्रल जोन को जीतने के लिए 171 रन का लक्ष्य दिया। भुवनेश्वर ने इस पारी में भी अपने खेल का लोहा मनवाया और 1 विकेट हासिल किया। पहले विकेट के रूप में 6 रन पर विनीत सक्सेना का आउट होने के बाद टीम ने अंतिम दिन तक मुकाबले को मजबूती से खेलते हुए ड्रॉ पर समाप्त किया।
सेंट्रल जोन बना विजेता
हालांकि मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ, लेकिन पहले पारी में बनाए गए 469 रन के विशालकाय स्कोर के कारण सेंट्रल जोन को विजेता घोषित किया गया। भुवनेश्वर (Bhuvneshwar Kumar) की शतकीय पारी और उनके द्वारा लिए गए 2 विकेट ने टीम को निर्णायक बढ़त दिलाई। उनके इस प्रदर्शन ने क्रिकेट विशेषज्ञों और फैंस दोनों का ध्यान खींचा और उन्हें घरेलू क्रिकेट में बहुमुखी खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
भुवनेश्वर की इस पारी ने यह दिखा दिया कि क्रिकेट में परिस्थितियों के अनुसार खिलाड़ी की भूमिका बदल सकती है। उनका संयम, तकनीक और आक्रामकता का संतुलन टीम के लिए निर्णायक साबित हुआ। इस मैच ने उन्हें न केवल टीम का हीरो बनाया बल्कि उनके करियर में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज किया।
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