Test Series : टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला। टेस्ट सीरीज़ (Test Series) खत्म होते ही एक युवा कप्तान ने अपनी भूमिका से हटने का एलान कर दिया। यह फैसला तब आया जब उनकी टीम को सीरीज़ में हार का सामना करना पड़ा था। फैंस के लिए यह फैसला अप्रत्याशित था, क्योंकि सीरीज़ के पहले मुकाबले में उन्होंने शानदार व्यक्तिगत प्रदर्शन किया था। लेकिन हार के बाद टीम के भीतर चल रही तनातनी खुलकर सामने आ गई।
Test Series में मिली करारी हार से टूटा मनोबल
दरअसल हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश के कप्तान नजमुल हुसैन शांतो (Nazmul Hussain Shanto) की। श्रीलंका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज (Test Series) 1-0 से हारने के बाद शांतो ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
टेस्ट सीरीज (Test Series) का पहला टेस्ट गाले में खेला गया था, जो ड्रॉ रहा। लेकिन दूसरा मुकाबला कोलंबो में श्रीलंका ने एक पारी और 78 रन से जीतकर बांग्लादेश को गहरा झटका दिया। इस जीत के साथ श्रीलंका ने WTC की पॉइंट्स टेबल में तीसरा स्थान हासिल कर लिया।
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मीडिया के सामने अचानक किया इस्तीफे का ऐलान
दूसरे टेस्ट के बाद पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कप्तान ने सभी को चौंकाते हुए टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने इस फैसले को निजी बताया, लेकिन इसके पीछे की वजहों को लेकर चर्चा शुरू हो गई।
अचानक आया यह निर्णय टीम के लिए किसी झटके से कम नहीं था। उनकी घोषणा के बाद बोर्ड की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई। खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ को भी इस फैसले की पूर्व जानकारी नहीं थी, जिससे ड्रेसिंग रूम में असमंजस का माहौल बन गया।
बोर्ड और कप्तान के बीच लंबे समय से खींचतान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कप्तान और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) के बीच पिछले कुछ समय से रिश्ते ठीक नहीं थे। उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से हटाए जाने से पहले पूरी तरह से सूचित नहीं किया गया था, जिससे वे नाराज़ चल रहे थे।
कप्तान नजमुल हुसैन शांतो ने पहले टेस्ट में दोनों पारियों में शतक जड़कर खुद को साबित किया था। हालांकि टीम का प्रदर्शन सामूहिक रूप से कमजोर रहा, जिससे जीत नहीं मिल सकी। नेतृत्व की भूमिका में उनका कार्यकाल छोटा रहा
लेकिन उनके फैसले ने बांग्लादेश क्रिकेट में नई बहस छेड़ दी है। अब यह देखना अहम होगा कि टीम की कमान किसे सौंपी जाती है और बोर्ड इस संकट से कैसे निपटता है। कई पूर्व खिलाड़ी और विशेषज्ञ भी इस मसले पर अपनी राय खुलकर रखने लगे हैं।
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