– रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले नए युग की शुरूआत
– दो सुखोई विमान की सुरक्षा घेरे में पहुंचा भारत
– पांच राफेल पहुंचे भारत, 31 और का इंतजार
– अंबाला प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में लागू की धारा 144
बहुप्रतिक्षित लड़ाकू विमान राफेल के भारत पहुंचते ही मानो हर भारतवासी के अंदर रक्षा सम्बंधी आत्मविश्वास और भी कूट-कूट कर भर गया हो। हलांकि देशवासियों को हमेशा से ही अपनी सेना पर नाज रहा है। अंबाला एयरबेस पर करीब साढ़े तीन बजे जैसे ही राफेल की लैंडिंग हुई तो राफेल की गर्जना से पूरा इलाका गूंज उठा।
एयर बेस के आस पास और बाहर खड़े तमाम देश वासियों का जज्बा देखते ही बन रहा था। सभी हाथ में तिरंगा लिए भारत मां के जयकारे लगा रहे थे। यहां एयर चीफ मार्शल ने राफेल विमानों का स्वागत किया। इसके साथ ही लड़ाकू विमानों को वाटर सल्यूट दिया गया। नाजारा देखते ही बन रहा था। सूचना मिलते ही भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से सभी सैन्य अधिकारियों और देश की जनता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राफेल के आने से भारत के रक्षा विभाग में नए युग की शुरूआत हो गई.
The Touchdown of Rafale at Ambala. pic.twitter.com/e3OFQa1bZY
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 29, 2020
राफेल की पहली खेप भारत के लिए इस लिए भी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। कारण यह है कि इस समय चीन का अतिक्रमणकारी रवैया भारत के खिलाफ जिस तरह दिखाई दे रहा है। इस स्थिति में यह माना जा रहा है कि भारत पहुंचे फ्रांस के पांच राफेल लड़ाकू विमान दुश्मन देशों को यह संदेश जरूर देंगे कि भारत अपनी रक्षा व्यवस्था को लेकर कितना गंभीर है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि राफेल विमानों को लेकर भारतीय वायु सेना की ताकत निसंदेह ही बढ़ेगी।
हालांकि अभी 31 और राफेल विमानों का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है क्योंकि यह सबसे उन्नत लड़ाकू विमान हैं। इसकी तुलना में चीन और पाकिस्तान के पास भी कोई लड़ाकू विमान नहीं हैं। ऐसे में भारतीय रक्षा शक्ति निश्चय ही इन दोनों दुश्मन देशों को इनकी नापाक हरकतों पर मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।
हालांकि वर्तमान में चीन और पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए सेना के तीनों अंगों की आवश्यक जरूरतें समय पर पूरी करने को लेकर सरकार को और भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा सौदों को लेकर प्राथमिकता के आधार पर निर्णायक फैसले किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी इनमें तेजी दिखाने की आवश्यकता है।
खत्म हुआ चार साल का इंतजार
फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल को भारतीय वायु सेना में शामिल करने का मसौदा चार पहले तैयार हुआ था। 36 राफेल विमानों को खरीदने का करार फ्रांस के साथ किया गया था। जिसकी कीमत 59 हजार करोड़ रुपये है। राफेल सात हजार किमी. की दूरी तय करके भारत आए हैं। अंबाला में राफेल के रखरखाव के लिए एयरबेस में मूलभूत सारी तैयारियां कर ली गई हैं। इसमें करीब 227 करोड़ रुपये की लागत से फ्रांसीस कंपनी दसॉ ने एयरबेस को राफेल के लिए तैयार किया है। जिसमें विमानों के लिए रनवे, पाक्रिंग के लिए हैंगर और ट्रैनिंग के लिए सिम्युलेटर शामिल है। ये विमान फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आए हैं।
चीन और पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बना राफेल
राफेल से ज्यादा हाई तकनीक के लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान दोनों के पास ही नहीं हैं। भारत में एफ-16 और टाइकून जैसे लड़ाकू विमानों की तुलना में फ्रांसीसी राफेल पर भरोसा इसी लिए जताया क्योंकि यह विमान की लागत का करीब 30 फीसद अकेले रडार और सेल्फ प्रोडक्शन सिस्टम इसके उपकणों पर खर्च किया गया है। इस वजह से इसको निशाना बनाना और इसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
चीन के पास भारत के रुसी सुखोई-30 की तकनीक से मिलता जुलता विमान है। लेकिन राफेल जैसे तकनीक वाला लड़ाकू विमान एक भी नहीं है। इसी लिए चीन के लिए राफेल चिंता का विषय बन गया है। क्योंकि राफेल ने खुद को लीबिया, ईराक और सीरिया के संघर्षों में खुद को साबित किया है। जबकि चीन के किसी भी विमान ने अभी तक ऐसे किसी भी मोर्चे पर लोहा नहीं लिया है। जैसा कि सर्व विदित है कि चीन दूसरे देशों की तकनीक चुराने में माहिर रहा है। उसके विमान रूसी विमानों की सस्ती नकल माना जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि वह राफेल की कितनी नकल कर पाएगा।
पाकिस्तान के एफ-16 को तो अभिनंदन ने ही मार गिराया था
पाकिस्तान में एफ-16 विमान ही उसके लिए सर्वोच्च है। लेकिन यह भारत के मिग-21 के आगे नहीं ठहर पाया तो राफेल के आगे कहां ठहर सकेगा। गौरतलब है कि बालाकोट हमले के बाद भारत के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के इसी एफ-16 विमान को अपने मिग-21 से मार गिराया था।
पाकिस्तान का एफ-16 चौथी पीढ़ी का सिंगल इंजन विमान है। बता दें कि राफेल ने एफ-16 की तुलना में ज्यादा हथियारों को लोड करने की क्षमता है। साथ ही राफेल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। यह सेमी स्टील तकनीक से लैस है। जबकि एफ-16 से यह सभी खूबियां नदारद हैं।
जानें राफेल में क्या है विशेषता
– अंबाला से पौने घंटे में एलओसी और एएलसी पहुंच जाएंगे राफेल।
– राफेल के स्क्वाड्रन का नाम गोल्डन एरो होगा।
– इसे वायु सेना की 17वीं स्क्वाड्रन के रूप में जाना जाएगा।
– चीन से तनातनी होने के कारण लद्दाख में की जाएगी राफेल की तैनाती।
– एयर-टू एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज 3700 किमी है।
– राफेल को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है।
– राफेल दुश्मन इलाके में 600 किमी से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है।
– चीन और पाकिस्तान के नापाक इरादों को कुचलने के लिए भारतीय एयरफोर्स के पास सबसे खतरनाक हथियार।
– 4.5 जनरेशन का दो इंजन मल्टी रोल कृम्बैट एयरक्रॉफ्ट।
– कॉम्बेट रेडियस 1852 किमी से ज्यादा।
– तीन मिसाइले लंबी दूरी की, पांच हवा से जमीन में मार करने वाली और तीतन हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल रख सकते हैं राफेल में।
– ईधन क्षमता 17 हजार लीटर।
– अधिकतम गति 1912 किमी प्रति घंटा।
– 150 किमी दूर तक लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है राफेल।
– ध्वनि और रडार गाइडेड की गति से चार गुना ज्यादा तेज।
– राफेल में स्कैल्प मिसाइल 600 किमी दूर से अचूक निशाना लगाने में सक्षम है।