21वीं सदी के दौर में भी अंधविश्वास का बोलबाला है। टोने-टोटके भारत में अभी भी खूब किए जाते हैं। जब किसी से इस अंधविश्वास के बारे में पूछा जायेगा तो सब नकार देंगे लेकिन मन में सबके ये अंधविश्वास बैठा है और इसी अंधविश्वास के करण एक 31 साल का शख्स आज महिलाओं की वेषभूषा में रह लहा है जो चौंकाने वाला है।
महिला बनकर घूमता पुरुष
दरअसल उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक शख्स लाल साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, हाथों में खनकती चूड़ियां पहनता है। उनकी पहली शादी 14 साल की उम्र में हुई थी उनकी पत्नी अब मर चुकी हैं। वो बंगाल के इलाकों में औरत के वेष में बस इसलिए घूमते हैं कि उनकी मौत न हो जाए,जो कि तर्क पूरी तरह से किसी अंधविश्वास पर टिका हुआ है।
लड़की से की शादी
ये कहानी है चिंताहरण चौहान की जो 21 साल की उम्र में दिनाजपुर में एक ईंट के भट्ठे में नौकरी करने गए वहां उन्हें राशन पानी के लिए जाना पड़ता था। उस दुकानदार से चिंताहरण की दोस्ती हो गई और फिर उन्होंने उसी दुकानदार की लड़की से शादी कर ली लेकिन अंधविश्वास की कहानी वही से शुरू है गई।
लड़की की हुई मौत
शादी तो हो गई थी लेकिन चिंताहरण के परिवार को ये शादी पसंद नहीं आई और दबाव में उन्हें उस लड़की से शादी तोड़नी पड़ी और फिर जब वो दोबारा वो काम के सिलसिले में दिनाजपुर गए तो पता चला कि उस लड़की ने सदमे में आत्महत्या कर ली इधर चिंताहरण ने परिवार के दबाव में तीसरी शादी की। लोगों ने सोचा था कि अब उनकी जिंदगी बदलेगी लेकिन इतनी बदलेगी ये किसी को अंदाजा नहीं था।
अंधविश्वास की कहानी
दरअसल चिंताहरण का कहना है कि उन्हें उस बंगाली लड़की के सपने आते हैं और वो उन्हें शादी तोड़कर छोड़ जाने के लिए कोसती है और हर रात रोती है। इसी बीच चौहान का पूरा परिवार मौत की तरफ जाने लगा उनके पिता उनकी मां सातों बच्चे धीरे-धीरे सबकी मौत हो गई इस बीच वो लड़की रोज चौहान के सपने में आती है। चौहान ने उससे माफी मांगी वो बताते हैं कि
मैंने उससे कहा कि वो मुझे माफ़ कर दे और उसके परिवार को बख्श दे. उसने कहा कि चौहान को हमेशा एक दुल्हन की तरह सजना होगा ताकि इस रूप में वो लड़की हमेशा उसके साथ रह सके।”
और ये अंधविश्वास की कहानी यहीं से शुरू हुई। चौहान का कहना है कि इसके बाद अचानक घर में मौतें रुक गई। चौहान का कहना है कि इस वाकए के बाद उनकी सैहत सुधर गई उनके बेटों की हालत ठीक है, और वो इसके पीछे सपने में उस बंगाली की बातों को वजह मानते हैं। इसीलिए चौहानों आज भी साड़ी, बिंदी और चूड़ी पहनकर एक महिला के वेष में जिंदगी गुजार रहे हैं।