बॉलीवुड में ‘ट्रेजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार का बुधवार (7 जुलाई) को निधन हो गया। अभिनेता पिछले कुछ दिनों से उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें 29 जून को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान की पत्नी सायरा बानो पूरे समय उनके साथ थीं।
बेहद गरीबी में बिता दिलीप कुमार का बचपन
दिलीप साहब ने पांच दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया। पेशावर (अब पाकिस्तान में) में 11 दिसंबर, 1922 को जन्में दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद यूसुफ खान है। उनका परिवार साल 1930 में मुंबई आकर बस गया। दिलीप कुमार के पिता फल बेचा करते थे। दिलीप कुमार बचपन से ही प्रतिभावान थे, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण उनका बचपन मुश्किलों में गुजरा ।
रिपोर्ट की मानें तो साल 1940 में पिता से मतभेद के बाद वह पुणे आ गए। यहां दिलीप कुमार की मुलाकात एक कैंटीन के मालिक ताज मोहम्मद से हुई, जिनकी मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में सैंडविच स्टॉल लगाया। कैंटीन से हुई कमाई को लेकर दिलीप कुमार वापस मुंबई अपने पिता के पास आ गए और काम की तलाश शुरु कर दी।
जानिए कैसे मिला बॉलीवुड में काम
मुंबई आने के बाद साल 1943 में चर्चगेट में दिलीप साहब की मुलाकात डॉ. मसानी से हुई, जिन्होंने उन्हें बॉम्बे टॉकीज में काम करने का ऑफर दिया। जहां दिलीप साहब की मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई। दिलीप कुमार ने फिल्म ‘ज्वार भट्टा’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की।
साल 1949 में आई फिल्म ‘अंदाज’ से दिलीप साहब को पहचान मिली। इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ राज कपूर थे। इस फिल्म के बाद ‘दीदार’ (1951) और ‘देवदास’ (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने की वजह से उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा गया।