सुशांत सिंह राजपूत के केस में ड्रग्स ऐंगल के बाद जिस तरह रिया, दीपिका पादुकोण और बाकियों की व्हाट्सअप चैट सबके सामने आती जा रही है, उससे व्हाट्सअप यूजर्स के दिमाग में एक ही सवाल बार बार घूम रहा है कि क्या व्हाट्सअप कंपनी का मैसेज इंक्रीप्टेड होने का दावा झूठा है? जिस तरह दीपिका की आज से तीन साल पुरानी व्हाट्सअप चैट को सार्वजनिक किया जा रहा है वैसे ही बाकियों की भी व्हाट्सअप चैट में कोई प्राइवेसी नही है। इसका मतलब की व्हाट्सअप कंपनी ने व्हाट्सअप के सिक्योर होने के जो वादे किये थे वे सभी खोखले है?
प्राइवेसी नीति का दिया हवाला
जिस तरह से दीपिका की चैट को देश दुनिया में दिखा कर उनकी धज्जियां उड़ाई जा रही है इस बात से यह साफ स्पष्ट होता है कि व्हाट्सएप पर दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत पूरी तरह से एनक्रिप्टेड होने का दावा खोखला साबित हो चुका है। साथ ही प्राइवेसी नीति का हवाला देते हुए यूजर का डाटा इकट्ठा न करने की पोल भी सुशांत सिंह प्रकरण में खुल चुकी है।
डिलीट चैट भी की जा सकती है रिकवर
व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार, आमतौर पर कंपनी यूजर्स के संदेश स्टोर नहीं करती। आपस में संदेश डिलीवर होते ही वह उसके सर्वर से डिलीट हो जाता है,लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, हकीकत में कोई भी थर्ड पार्टी व्हाट्सएप संदेशों को गैरकानूनी या कानूनी, दोनों तरीकों से हासिल कर सकती है।
डाटा इज न्यू ऑयल
इसका मतलब है जिसके पास डाटा है वो मालामाल। विशेषज्ञों के अनुसार सोशल मीडिया कंपनिया किसी समाजसेवा के क्षेत्र में नहीं हैं। वे डाटा का व्यापार कर रही हैं। उनके लिए प्रत्येक इंसान कमोडिटी है, जिससे वे कमाना चाहती हैं। जो व्हाट्सएप कह रहा है, उसके शब्दों पर आंख बंद करके भरोसा नहीं किया जा सकता। व्हाट्सएप खुद यूजर द्वारा उसके इस्तेमाल और चैटिंग परफॉर्मेंस पर नजर रखता है।