अर्नब के सपोर्ट में उतरे हरीश साल्वे, कोई अपनी मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा तो सीएम को गिरफ्तार कर लेंगे क्या?

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के इडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के मामले में सुनवाई की। इसमें पत्रकार गोस्वामी के तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दलील दी। उन्होंने कहा कि पिछले महीने महाराष्ट्र में एक शख्स ने ये कहते हुए आत्महत्या कर ली कि सीएम उसे सैलरी देने में नाकाम रहे। अब आप क्या करोगे? मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करेंगे?

तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया गया

अर्नब के सपोर्ट में उतरे हरीश साल्वे, कोई अपनी मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा तो सीएम को गिरफ्तार कर लेंगे क्या?

आपको बता दे कि अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए साल 2018 के मामले में गिरफ्तार किया गया है। साल्वे ने मामले में सुनवाई कर रही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ से कहा कि अर्नब को तीन साल पुरानी एफआईआर के मामले में गिरफ्तार किया गया है। दिवाली के सप्ताह में उन्हें जेल में डाल दिया। इसके बाद गोस्वामी को तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया गया जहां गंभीर अपराधी सजा काट रहे हैं।

एक शख्स को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया जा रहा है

अर्नब के सपोर्ट में उतरे हरीश साल्वे, कोई अपनी मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा तो सीएम को गिरफ्तार कर लेंगे क्या?

अधिवक्ता साल्वे ने पीठ को बताया कि सत्तारुढ़ द्वारा गोस्वामी को निशाना बनाया जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं की राज्य में क्या हो रहा है। महज एक शख्स को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। साल्वे ने कहा कि मजिस्ट्रेट को उन्हें बॉन्ड भराकर पहले दिन ही रिहा कर देना चाहिए था।

हाई कोर्ट  निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं

अर्नब के सपोर्ट में उतरे हरीश साल्वे, कोई अपनी मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा तो सीएम को गिरफ्तार कर लेंगे क्या?

इधर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट है।

अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसा मामला है जिसमें हाई कोर्ट जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।’