ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

तो आइए आज हम उन रानियों के बारे में बात करते है जो न केवल राजाओ की पत्नियों के रूप में पहचाना जाता था बल्कि अपने दिमाग और सौन्दर्य के लिए भी पहचाना जाता था। विश्व में रानियाँ तो बहुत हुई पर जिनमे सौन्दर्य के साथ मस्तिष्क और बहादुरी दोनों हो ये सिर्फ कुछ ही थी। इन रानियों ने अपनी बुद्धिमता और बहादुरी से कई मुश्किल समस्याओं को हल किया है।

जयपुर की महारानी गायत्री देवी

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

महारानी गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को लन्दन में हुआ था। इनके पिता राजकुमार जितेंद्र नारायण और माता इंदिरा राजे थी। गायत्री देवी एक अच्छी पोलो खिलाड़ी व अच्छी घुड़सवार थी। इनका विवाह जयपुर के राजा सवाई मानसिंह द्वितीय से हुआ था। इन्होने जयपुर में एक बच्चे राजकुमार जगत सिंह को जन्म दिया था।

इनको घने काले बालों, काली सुंदर आँखों के लिए पहचाना जाता था। वे उस समय की फैशन आइकॉन भी मानी जाती थी। उन्हें उनकी दयालुता के लिए भी जाना जाता था।

भारत की आजादी के बाद गायत्री देवी एक सफल राजनेता बन गयी और जनता के विकास के लिए कार्य करने लगी। 29 जुलाई 2009 को उनकी मृत्यु हो गयी। उन्हें आज भी जयपुर में राजमाता के रूप में जाना जाता है।

राजकुमारी मार्गरेट रोज

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

किंग जॉर्ज IV और रानी एलिजाबेथ के छोटी बेटी राजकुमारी मार्गरेट रोज एक युवा ब्रिटिश राजकुमारी थी। उन्हें अपनी शाही सुंदरता के लिए पहचाना जाता था। इनकी नीली आँखे व 18 इंच की कमर विशेष थी। राजकुमारी मार्गरेट रोज की लाइफस्टाइल एक पार्टी गर्ल जैसी थी।

मार्गरेट रोज और पीटर टाउनसेंड के सम्बन्ध ने उस समय बहुत सुर्खिया बटोरी थी। इन्हे अपने नए फैशन के प्रयोग के लिए भी जाना जाता था। इनकी 71 वर्ष की उम्र में 2002 में मृत्यु हो गयी थी।

रानी पद्मिनी या पद्मावती

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

 

रानी पद्मिनी को पूरा विश्व उनकी सुंदरता के साथ-साथ उनकी बुद्धिमता और त्याग के लिए भी जानता है। रानी पद्मिन सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन की पुत्री थी। वे बचपन से एक प्रशिक्षित योद्धा थी। इनका विवाह राजा रावल रत्नसिंह से हुआ था।

एक बार धोखे से चित्तौड़ के राजगुरु राघव चेतन ने उन्हें देख लिया और उसने रानी पद्मनी के सौन्दर्य का बखान अल्लाउदीन खिलजी के सामने किया, खिलजी ये सब सुनकर उसे देखने के लिए उत्साहित हुआ और उसने चित्तौड़गढ़ की ओर प्रस्थान किया। उस समय किसी राजपूत स्त्री का किसी गैर पुरुष के सामने जाना एक अक्षम्य अपराध माना जाता था, ये राजपूत मर्यादा के खिलाफ था।

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

अल्लाउदीन खिलजी ने राजा रावल रत्नसिंह के सामने रानी पद्मिनी को देखने की इच्छा जाहिर की। इसका राजा रावल रत्नसिंह ने विरोध किया अंत में ये विरोध युद्ध में बदल गया। अल्लाउद्दीन खिलजी ने धोखे से राजा रतन सिंह का वध कर दिया जिसके बाद उसने रानी प्द्माव्रती को प्राप्त करने के लिए राजमहल की ओर कुच किया।

खिलजी को राजमहल की तरफ आता देख कर रानी पद्मावती और वहाँ मौजूद सभी राजपूतानियो ने अपनी पवित्रता को बनाये रखने के लिए जौहर कुंड में अपना आत्मदाह कर दिया था। आज भी रानी पद्मिनी का ये बलिदान सभी भारतवासियों के हृदय में जीवित है।

पुर्तगाल की इसाबेल

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

पुर्तगाल की इसाबेल को दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओ में से एक माना जाता है। इसाबेल पुर्तगाल के महाराज King Manuel I की दूसरी पत्नी Maria of Aragon की सबसे बड़ी पुत्री थी। इसाबेल की आँखों में शाही काली सुंदरता थी। ये ईर्ष्या और जलन से परिपूर्ण थी। अपने लक्ष्य को पाना जानती थी।

रोमन के सम्राट Charles V से उनका विवाह हो गया और बाद में वे रोमन और इटली की महारानी के साथ Spain, Sicily, and Burgundy की भी रानी बन गयी। इसाबेल को उसकी सुंदरता व आकर्षण के साथ बुद्धिमता के लिए भी जाना जाता है।

इन्होने कई वर्षो तक अपने पति की अनुपस्थिति राज प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया है। इनकी छठी गर्भावस्था के समय मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद इनके पति ने दूसरा विवाह नहीं किया था और वे एक कैथोलिक संत बन गए थे।

रानी विजया देवी

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

इतिहास में सबसे खूबसूरत रानियों की सूची रानी विजया देवी का उल्लेख किए बिना पूरी नहीं हो सकती। रानी विजया देवी का जन्म 28 अगस्त 1922 को हुआ था। ये Yuvaraja Kanteerava Narasimharaja Wadiyar की पुत्री थी। रानी विजया देवी एक सुन्दर राजकुमारी होने के साथ एक कुशल नृतक और महान वीणा वादक भी थी।

इन्होने ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक लंदन से पियानो का अध्यन किया था। सन 1941 में कोटदा सांगनी के ठाकुर साहेब से विवाह हो गया। इतना ही नहीं International Music Arts & Society की अध्यक्ष भी रही।

राजकुमारी संयोगिता

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी आज इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है। राजकुमारी संयोगिता का जन्म कन्नौज प्रदेश के राजा जयचंद के यहाँ हुआ था। कुछ राजनैतिक विवादों के कारण पृथ्वीराज के पिता सुमेर सिंह और संयोगिता के पिता जयचंद में आपसी मतभेद थे। इस मतभेद का बदला लेने के लिए महाराज जयचंद ने पृथ्वीराज को ख़त्म करने के लिए मोहम्मद गोरी का हर संभव समर्थन किया।

जब राजकुमारी संयोगिता बड़ी हुई तो उन्होंने उस समय पृथ्वीराज की वीरता के किस्से सुने और वे पृथ्वीराज से प्रेम करने लगी। जब इन दोनों के प्रेम की बात महाराज जयचंद को पता चली तो उन्होंने संयोगिता का स्वयंवर करना चाहा। और उस स्वयंवर में पृथ्वीराज को आमंत्रण नहीं दिया।

इन सब से जयचंद को संतुष्टि नहीं मिली तो उन्होंने पृथ्वीराज का अपमान करने के लिए उनकी लोहे की मूर्ति बनवा दी। इसे देख कर संयोगिता ने उस मूर्ति पर वरमाला डाल दी। उसी समय पृथ्वीराज ने संयोगिता को घोड़े पर बैठाकर कन्नौज से दिल्ली ले गए। अंत में पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद उन्होंने आत्मदाह कर दिया।

मीरा बाई

ये हैं इतिहास की सबसे खूबसूरत रानियां, जिनकी वजह से हुआ भयंकर नरसंहार

मीरा बाई अपने सौन्दर्य के साथ साथ अपनी कृष्ण भक्ति के लिए भी जानी जाती है। उनका जन्म मेड़ता के दूदा जी के पुत्र रत्न सिंह के यहाँ हुआ था। बचपन में 4 वर्ष की उम्र में जब बारात के जुलुस को देखा तो मीरा बाई ने अपनी माँ से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है तो घर के कामकाज में परेशान माँ ने ठाकुर जी (कृष्ण भगवान) की मूर्ति की और इशारा किया और कहा ये है तुम्हारे दूल्हे तब से मीरा बाई ने श्री कृष्ण जी को अपना पति माना।

बाद में मीरा बाई का विवाह उदयपुर के कुंवर भोजराज से हुआ, पर उन्होंने कभी उन्हें अपने पति के रूप में नहीं स्वीकार किया जब उन्हें आवश्यकता पड़ी तब वे उनके साथ थी। कुछ समय बाद उनके पति का देहांत हो गया और तब से वो कृष्ण भक्ति में विलीन हो गयी। मंदिरो में कृष्णमूर्ति के सामने नृत्य करना भजन कीर्तन करना प्रारम्भ कर दिया।

ये सब उनके परिवार वालो को पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने मीरा बाई को कई बार जहर देकर मारना चाहा, इन सब से परेशान होकर मीरा बाई ने द्वारका और वृंदावन की और प्रस्थान किया और वहाँ जाकर भजन कीर्तन करना प्रारम्भ कर दिया। कहा जाता है मीरा बाई की मृत्यु नहीं हुई थी वो कृष्ण मूर्ति में विलीन हो गयी है।