Pakistan Cricketer

Pakistani Cricketer: हमारे भारत देश में गली-गली में अलग-अलग मंदिर देखने को मिल जाते हैं, जिससे लोगों की आस्था जुडी होती है, पर अगर आपसे कहें कि पाकिस्तान में भी हनुमान जी का 1500 साल पुराना एक मंदिर है, जिसमें हर मंगलवार को पूजा करने के लिए एक पाकिस्तानी खिलाड़ी पहुंचता है. आमतौर पर अभी तक हमने हार्दिक पांड्या, गौतम गंभीर, सुरेश रैना और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों को पूजा- अर्चना करते हुए देखा होगा लेकिन पाकिस्तान का यह खिलाड़ी भी हनुमान जी का परम भक्त है, जो अक्सर हिंदू त्यौहार को धूमधाम से मनाते नजर आते हैं.

Pakistani Cricketer: हनुमान जी का सबसे बड़ा भक्त है ये खिलाड़ी

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हम यहां पाकिस्तान के जिस खिलाड़ी (Pakistani Cricketer) की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं दानिश कनेरिया हैं, जो हर हिंदू त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. दानिश कनेरिया कराची के जिस पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर के दर्शन करने हर मंगलवार को जाते हैं, उस मंदिर की मूर्ति किसी ने बनाई नहीं है, बल्कि वह प्राकृतिक है. कहा जाता है कि पंचमुखी हनुमान जी वहां खुद प्रकट हुए थे. इसके बाद से ही वहां पर उनकी पूजा अर्चना की जाने लगी. ऐसी भी मान्यता है कि श्री राम अपने पूरे परिवार के साथ इस मंदिर में आए थे और उनके साथ उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी थी.

कराची के 15 साल पुराने मंदिर में करते हैं पूजा

Pakistan Cricketer

आपको बता दे कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम (Pakistani Cricketer) में आज भी हिंदू क्रिकेटरों की एंट्री मुश्किल है. यह जानने के बावजूद भी दानिश कनेरिया के आस्था में बिल्कुल भी कमी नहीं आई. उन्होंने कुछ साल पहले ही कराची के सबसे भव्य और प्राचीन पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर का दर्शन किया था, जो 1500 साल पुराना माना जाता है. सोशल मीडिया पर इस बारे में उन्होंने जानकारी शेयर करते हुए इसकी खासियत भी बताई जिन्होंने मंदिर के पुजारी और वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के अध्यक्ष से बातचीत भी की.

अत्याचार के कारण छोड़ दिया देश

पाकिस्तान क्रिकेट टीम (Pakistani Cricketer) में जो भी खिलाड़ी खेलते हैं वह सभी मुस्लिम है. ऐसे में आज भी हिंदू क्रिकेटर के लिए पाकिस्तान टीम में जगह बना पाना एक सपना बना हुआ है. अभी तक पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास में दो ही हिंदू क्रिकेटर हुए हैं एक दानिश के मामा अनिल दलपत थे. उसके बाद दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान टीम के लिए खेले है, हालांकि उनके ऊपर कई बार धर्म परिवर्तन का दबाव भी बनाए जाने लगा. इसके बाद अत्याचार देखते हुए उन्होंने देश छोड़ने का फैसला लिया लेकिन उनकी भक्ति में जरा भी कमी नहीं आई.

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