कोरोना के केस अब भले ही घटने लगे हैं लेकिन कोरोना की इस दूसरी लहर में न जाने कितने बच्चे अनाथ और कितने ही परिवार की चिराग बुझ गयी हैं. ऐसा ही एक दिल दहला देने वाली घटना बिहार के अररिया जिले के रानीगंज के विशुनपुर के एक गाँव में देखने को मिला है .
यहाँ मधुलता गाँव में कोरोना से बीरेन मेहता और उनकी पत्नी प्रियंका देवी की मौत हो गयी तो पूरे गांव में से कोई कंधा देने तक नहीं आया. बेचारी बेटी के पास दाह्य संस्कार तक के पैसे नहीं थे. पंचायत के मुखिया से मदद ले कर अकेले बेटी ने मां को दफनाया था.
बेटी मदद को देखती रही किसी ने नहीं दिया कंधा
गांव में ही डॉक्टरी करने वाले बिरेन मेहता कोरोना से संक्रमित हो गए और फिर उनकी मौत हो गयी इसके चार दिन बाद ही इनकी पत्नी प्रियंका देवी भी कोरोना मर गयी . बीरेन की मौत के बाद ही कोरोना से पत्नी की मृत्यु हो जाने पर न अपने न गाँव वाले ही आगे आये.
बेटी ने आस- पड़ोस के लोगो से विनती की मां की अर्थी को कंधा देने और श्मशान तक पहुंचा ने को लेकिन सब ने मुंह मोड़ लिया. किसी के भी सामने ना आने पर बेटी ने खुद अकेले पीपीई किट पहन मां को दफनाया था. पीपीई किट पहन कर दफनाते हुए बेटी का फोटो वायरल होने पर सब को झकझोर दिया ये देश और विदेश के मीडिया में काफी चर्चा रहा.
तस्वीर वायरल होने पर प्रशासन ने दिए 4 लाख रुपये
मां को दफ़नाने वाली बेटी की यह तस्वीर वायरल होने पर रानीगंज के सीओ ने 4 लाख रुपये की अर्थिक सहायता दिया था. रुपये मिलने पर पिता और माता की मौत से आहत बेटी को गाँव वालो ने सलाह दी. बीरें एक सामाजिक और मेल मिलाप वाले आदमी थे ऐसे में उनके और उनकी पत्नी का श्राद्ध का कार्यक्रम अच्छे से होना चाहिए .
पूरी विधि से होने पर पर ब्रह्म भोज भी होना था ऐसे में जिस बीरेन और उनकी पत्नी को कंधा देने तक कोई नहीं आया उन्ही ब्रह्म भोज में 150 लोग खाने को पहुँच गए .
पिता के गुजर जाने के बाद घर पर उधारी वसूलने आने लगे
बेटी सोनी ने बताया श्राद्ध और ब्रह्मभोज के बाद बकाया वसूलने के लिए तगादा करने वाले लोग आने लगे. चूँकि श्राद्धक्रम में कई सामान उधर भी आया था वो लोग भी आने लगे . इसलिए सीओ की तरफ से मिली मदद के पैसे बैंक से निकाल कर लोगो के उधार चुकता किये .
इलाज के लिये बेचनी पड़ी ज़मीन लेना पड़ा कर्जा
सोनी ने बताया, मां बाप बीमार हुए तो उनको पूर्णिया में एडमिट कराया गया था . इलाज के दौरान ही ज़मीन बेचनी पड़ी और क़र्ज़ लेना पड़ा . लेकिन पिता की मौत के बाद पैसा की कमी के कारण मां को इलाज के बीच में ही घर लाना पड़ा . मां की मौत हो जाने पर मुखिया जी की सहायता से पीपीई किट पहन अकेले गढ्ढा खोदा और मां को दफनाया .