कानपुर- अपने को हाईटेक कहने वाली कानपुर पुलिस संजीत के शव को न तलाश पाई है। न ही 36 घंटे में आरोपियों से कुछ खास उगलवा पाई है। इस मामले में पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं। पुलिस की नाकामी को देखते हुए सरकार ने अब इस मामले की जांच के लिए सीबीआई की सिफारिश कर दी है।
संजीत अपहरण हत्याकांड में पुलिस का रवैया शुरू से ही लापरवाह रहा है। आश्चर्य की बात है कि ये वही कानपुर पुलिस है, जिसने दस दिनों के अंदर विकास सहित उसके पांच साथियों को ढूंढ-ढूंढ कर एनकाउंटर किया था। अपनी नाकामी को छिपाने के लिए बर्रा इंस्पेक्टर हरमीत सिंह मीडिया के सवालों से मुंह छिपाते नजर आ रहे हैं।
36 घंटे की रिमांड में भी कुछ न उगलवा पाई पुलिस
29 जुलाई की सुबह ईशू, कुलदीप और नीलू को 36 घंटों की रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। पुलिस अब तक संजीत और जिस मोबाइल से बदमाशों ने फोन करके फिरौती मांगी थी, उसे बरामद नहीं कर पाई है। इसके अलावा संजीत और जिस बैग में फिरौती की रकम रखी गई थी, उसका भी पता नहीं चल सका है। शुक्रवार को पुलिस सिम्मी से पूछताछ के बाद भी कोई साक्ष्य हासिल नहीं कर पाई। सिम्मी को 17 घंटे अपनी कस्टडी में रखने के बाद बर्रा पुलिस ने उसे भी जेल भेज दिया।
नहीं मिला पाया संजीत का शव
अपहर्ताओं ने फत्तेपुर स्थित लोहे वाले पुल से संजीत का शव पांडु नदी में फेंकने की बात कबूली थी। शनिवार को पुल के पास खुदाई कराने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली। गोविंदनगर सीओ विकास पांडेय ने बताया कि रिमांड पर लिए गए अपहर्ताओं ने जहां बताया था, वहां शव की तलाश की चुकी है। उन्होंने बताया कि शव के अलावा दोनों मोबाइल और बैग को बरामद करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
कानपुर के संजीत यादव हत्याकांड में परिवार वालों की मांग पर यूपी की योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। मामले में प्रदेश सरकार ने जिले के एएसपी, डीएसपी और थाने के इंस्पेक्टर समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था। पुलिस मुख्यालय के एडीजी बीपी जोगदंड को मामले की जांच सौंपी थी।
30 लाख देने के बाद भी न बची जान
आपको बता दें कि 22 जून की रात लैब टेक्नीशियन संजीत पटेल चौक के पास स्थित पैथालॉजी में सैंपल देने के लिए निकला था, लेकिन रास्ते से लापता हो गया। पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।
13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपए से भरा बैग भी अपहर्ताओं के कहने पर गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया था। इसके बावजूद अपहृत बेटा नहीं मिला। बाद में उसका शव मिला।