Sudip Kumar Gharami की जिंदगी है संघर्षों से भरपूर, गांगुली के साथ से हासिल किया मुकाम
Sudip Kumar Gharami की जिंदगी है संघर्षों से भरपूर, गांगुली के साथ से हासिल किया मुकाम

आपने ये मुहावरा तो सुना ही होगा, धुन सवार होना, यानी चाहे कैसी भी परिस्तिथि आए, इंसान अगर अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरे लगन से काम करता है, तो एक-न-एक दिन उसे ये मुकाम हासिल हो ही जाता है। बता दें हाल ही में रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मुकाबले जारी है, जहां टीमों के लिए हारना मना है। बंगाल की टीम का सामना क्वार्टर फाइनल में झारखंड से हुआ और पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल की टीम ने मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और इसका श्रेय अगर किसी खिलाड़ी को जाता है तो उसका नाम है सुदीप कुमार घरामी (Sudip Kumar Gharami)।

बता दें सुदीप ने करो या मरो मुकाबले में बंगाल के लिए शतक जड़कर उनको ड्राइविंग सीट पर पहुंचा दिया। इस मैच में शतक लगाने के बाद एक दम से Sudip Kumar Gharami लाइमलाइट में छा गए है। इनके बारे में चर्चा चरम पर है। वहीं आज इस आर्टिकल के जरिए सुदीप कुमार के जीवन के संघर्षों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में कोई नहीं जानता है।

झारखंड के खिलाफ Sudip Kumar Gharami ने जड़ा शतक

Sudip Kumar Gharami की जिंदगी है संघर्षों से भरपूर, गांगुली के साथ से हासिल किया मुकाम
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दरअसल रणजी ट्रॉफी 2022 के पहले क्वार्टरफाइनल में बंगाल का सामना झारखंड से हो रहा है और पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल की टीम ने मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और इसका श्रेय अगर किसी खिलाड़ी को जाता है तो उसका नाम है सुदीप कुमार घरामी (Sudip Kumar Gharami)।

बता दें 23 साल के बंगाल के इस बल्लेबाज Sudip Kumar Gharami ने झारखंड के खिलाफ पहली पारी में शतक जड़ा और ये फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सुदीप के बल्ले से निकला पहला शतक है। इससे पहले खेले 4 मैचों में उनके नाम सिर्फ 102 रन थे। यानी जितने रन उन्होंने करियर के शुरुआती 4 मुकाबलों में नहीं मारे, उतने अकेले एक उस अहम मैच में मार दिए जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी।

मिट्टी के घर में रहते थे सुदीप कुमार

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बता दें साल 2020 में यानी जब तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका डेब्यू नहीं हो गया तब तक Sudip Kumar Gharami मिट्टी के घर में ही रह रहे थे। घर के आर्खिक हालात काफी बूरे दौर से गुजर रहे थे। पिता एक राजमिस्त्री थे और मां गृहणी, ऐसे में उनके लिए क्रिकेटर बनने का सपना भी कभी आसान नही रहा।

वहीं उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया,

“मेरा सपना छोटी उम्र से क्रिकेटर बनने का था, मेरे पिता भी मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते हैं, लेकिन हमारे पास उतने पैसे नहीं थे, हालांकि पापा राजमिस्त्री थे इसलिए आमदनी बेहद ही कम थी, लेकिन मेरे क्रिकेटर बनने के सपने को पंख देने के लिए उन्होनंने लोगों से पैसे उधार लिए थे”

सुदीप को करियर में दिशा दिखाने में गांगुली ने किया सपोर्ट

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Sudip Kumar Gharami की जिंदगी है संघर्षों से भरपूर, गांगुली के साथ से हासिल किया मुकाम

बंगाल के लिए नॉकआउट मैच में शतक ठोकने वाले Sudip Kumar Gharami ने जीवन में जो भी मुकाम हासिल की है, उसमें उन्हें यहां तक पहुंचाने में सौरव गांगुली की भूमिका अहम रही है। बता दें दादा ने उन्हें पहली बार अंडर टूर्नामेंट में खेलते देखा था। इसके बाद उन्होंने पूरा ध्यान उनके खेल को निखारने पर लगाया। ये भी एक संयोग ही रहा होगा कि जिस तरह से गांगुली ने सन 1990 में अपना फर्स्ट डेब्यू सीधे रणजी ट्रॉफी के फाइनल में उतरकर किया था, ठीक उसी तरह सुदीप ने भी 2022 में सौराष्ट्र के खिलाफ खेले फाइनल में अपना डेब्यू किया था।