नई दिल्ली: बीजेपी का दामन थाम चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती एक कद्दावर नेता के रूप में होती है। तो वहीं दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले एकलौते वारिस भी हैं। क्या आपको पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया किस महल में निवास करते हैं, अगर आप इस बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहें हैं।
जी हां, ज्योतिरादित्य सिंधिया का महल 12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा बड़ा है। वो इस महल के इकलौते मालिक हैं। करीब 150 साल पुराने और 400 कमरों के साथ बना यह महल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां अभी भी इस महल का निर्माण कराने वाले राजवंश का परिवार निवास करता है। करीब 150 साल पहले इस महल को महाराजाधिराज जयजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर ने 1874 में बनवाया था।
उस वक्त महल को बनवाने की लागत 1 करोड़ रुपए आई थी। वहीं आज इस सुंदर शाही महल की कीमत बढ़कर 4000 करोड़ पहुंच चुकी है। महल को आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस द्वारा डिजाइन किया गया था। जिन्होंने वास्तुकला के इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली से प्रेरणा लेकर इसे बनाया था।
इस महल में हर वो चीज मौजूद है, जो इसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। जयविलास महल, ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल होने के साथ-साथ एक भव्य संग्रहालय भी है। इस महल में 400 कमरे हैं।महल के 40 कमरों के एक हिस्से को अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है। इस महल की मजबूती को नापने के लिए उस वक्त करीब दस हाथियों की सहायता ली गई थी। वहीं दूर से देखने पर महल बिल्कुल संगमरमर से बना हुआ प्रतीत होता है।
वहीं इस महल के एक प्रमुख हिस्से को वैसे ही संरक्षित किया गया है, जिस तरह से इसे बनाया गया था। बता दें कि इस राजसी महल का निर्माण वेल्स के राजकुमार, किंग एडवर्ड VI के भव्य स्वागत के लिए किया गया था, जो सिंधिया राजवंश का निवास भी था। जिसके बाद साल 1964 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था। जयविलास पैलेस के रॉयल दरबार हॉल की छत से 140 साल से साढ़े तीन टन का झूमर टंगा हुआ है। इसके डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन है, जो खाना परोसने के काम आती थी।
यदि किसी हॉल में राजसी शान लाना हो, तो छत पर झाड़-फानूस का होना जरूरी है। जयविलास पैलेस के इस हॉल में ऐसे कई झाड़-फानूस जोड़े में टंगे हैं। दुनिया के बड़े झाड़-फानूसों में शुमार ये फानूस महाराजा जयाजी राव ने खासतौर पर बेल्जियम के कारीगरों से बनवाए थे।
वहीं महल के करीब 35 कमरों को संग्रहालय के तौर पर बनवाया गया है, जिसे देखने के लिए पर्यटक यहां आते हैं।