ह्युमन कंप्यूटर के नाम से मशहूर थी शकुंतला देवी, आइये जानते हैं उनके बारे में जाने अनजाने तथ्य

हम सभी जानते है कि आज के समय में हाई स्पीड कंप्यूटर का क्या महत्व है, और हो भी क्यों न क्योंकि लगभग हर काम ही कंप्यूटर से जुड़ा है. आज हम बात करेंगे ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से पहचानी जाने वाली एक महिला के नाम के बारे में, जिनका असली नाम शकुन्तला देवी था. उनके दिमाग का केलकुलेशन अपने ज़माने के कंप्यूटर को भी मात दे देता था. हाल ही में ऐक्ट्रेस विद्या वालन ने उनकी बायोपिक फिल्म भी की है.

बचपन में पिता ने पहचान लिया था शकुंतला देवी का टैलेंट

शकुंतला देवी

शकुंतला देवी का जन्म बेंगलुरु शहर में 4 नवंबर को 1929 को हुआ था. उनके पिता का नाम विश्वमित्र मणि साथ ही उनकी माँ का नाम योगिनी था. शकुंतला देवी एक ब्राह्मण परिवार से थी और उनका खानदानी काम पुजारी बनना था, लेकिन उनके पिता को यह काम पसंद नहीं था और इसी वजह से उनके पिता घर छोड़ कर भाग गए थे. घर छोड़ने के बाद उनके पिता ने एक सर्कस में काम किया.

एक बार जब शकुंतला देवी मात्र 6 साल थी तब उनके पिता उनको कार्ड की कुछ ट्रिक सिखा रहे थे, उस समय उन्होने कुछ ऐसा कर दिखाया कि उनके पिता को यह समझ आ गया था कि उनकी बेटी जीनियस है. दरअसल सर्कस के अंदर सभी को  चक्कर में डाल देने वाले विश्वमित्र हर बार अपनी बेटी से हार जा रहे थे, हालांकि शकुंतला को कार्ड्स गेम के बारे में पहली बार पता चला था.

सर्कस का काम छोड़ पिता ने बना दिया था बेटी का भविष्य

शकुंतला देवी

उनके इस टैलेंट को देखने के लिए उनके पिता ने अपने सर्कस का काम छोड़कर अपनी बेटी की प्रतिभा को लोगों तक पहुँचाने के लिए जगह-जगह उनके लिये शो करना शुरू कर दिया, जिसमें शकुंतला देवी मैथ्स से जुड़े बड़े से बड़े सवालों का जबाब बिना पेपर और पेन के कर दिया करती थी.

ह्युमन कंप्यूटर के नाम से मशहूर थी शकुंतला देवी

शकुंतला देवी

दरअसल शोज में कार्ड्स के अलावा मैथ्स के बड़े-बड़े सवालों के जबाब देने के लिए जानी जाती थी, चाहे कितना ही बड़ा सवाल क्यों ना हो उनकों किसी तरह के कागज और पेन की जरुरत नहीं होती थी.  इसी तरह से जब शकुंतला देवी के टेलेंट की चर्चाए तेज़ी से फैलने लगी तो मसूर युनिवर्सिटी के हेड ने उनके टेलेंट को भापने के लिए अपने यहां बुलाया, जिसके बाद जब वहां पहुंचकर उनसे बड़े से बड़े सवाल पूछे जाने लगे और इन सवालों के जबाब वह बड़ी ही आसानी से देने लगी, उनकी इस प्रतिभा को देख वहां मौजूद सभी लोग चौक गए. इसके बाद उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से जाना जाने लगा.

मैथ्स एक्सपर्ट होने के बावजूद उनके पास नहीं थी कोई डिग्री

शकुंतला देवी

चौकाने वाली बात तो यह है कि ना तो वो कभी कालेज गयी थी न कोई खास कोर्स किया था. उनकी इस प्रतिभा के चलते उन्हें उस समय दुनिया के सबसे बड़े ब्राडकास्टिंग कंपनी बीबीसी के शो में बुलाया गया, जिसमें यह बात पहले ही तय कर ली गयी थी, उनसे ऐसे-ऐसे सवाल पूछे जायेंगे जिसका जबाब वह कभी नहीं दे पाएंगी.

इसके बाद जब शो में पहुंचने के बाद उनसे जो सवाल पूछा गया उसका जबाब उन्होंने बड़ी ही आसानी से दे दिया, और वह अपने जबाब पर डटी रही जिसके बाद पता चला कि दरअसल होस्ट के पास जो उत्तर था वह ही गलत था. इसके बाद उनकी चर्चा विश्व में होने लगी और उनकी प्रतिभा की प्रदर्शन देखने कब लिए उन्हें अलग-अलग देशो में बुलाया जाने लगा.

उनकी तारीफ में उस समय की भारत की मौजूदा प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान शकुंतला की जमकर तारीफ की थी. इसके अलावा उन्हें कई राष्ट्रिय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया गया था.

साल 2013 में शकुंतला देवी ने ली थी अंतिम सांस

शकुंतला देवी

साल 2013 में शकुंतला ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. दरअसल अप्रैल के महीने में उन्हें बेंगलौर के दवाखाने में भर्ती किया गया था, जहां पर 2 हफ्तों तक उनका इलाज चला और उन्होंने 21 अप्रैल को अंतिम सांस ली थी. उस समय उनकी उम्र 83 साल थी. उनको सम्मान में गूगल ने 4 नवंबर को अपने डूडल को उनके नाम पर कर दिया था. उनकी एक बेटी भी है जिसका नाम अनुपमा है.

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