जज्बा: कभी यह दिव्यांग लड़का करता था दुसरो की मजदूरी, 1आईडिया से कमा रहा हर साल 15 लाख रूपये

दूसरे किसानों के खेतों में मजदूरी करने वाला यह दिव्यांग लड़का कुछ समय पहले तक बहुत गरीब था, लेकिन मुनगा की खेती करने के बाद अब यह 4 साल के अंदर ही करोड़पति बन चुका है. बालासाहेब पाटिल की सफलता को देखते हुए देश भर के लाखों किसान उसके खेत तक पहुंचे और उसके मार्गदर्शन से आगे बढ़े. इतना ही नहीं उसके द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर महाराष्ट्र में सूखा पीड़ित मराठवाडा के हजारों किसानों को भी कर्जे से मुक्ति मिली. अब आप बताएंगे कि कैसे हर साल 15 लाख रुपए तक कमा लेता है यह दिव्यांग लड़का

 

जज्बा: कभी यह दिव्यांग लड़का करता था दुसरो की मजदूरी, 1आईडिया से कमा रहा हर साल 15 लाख रूपये

 

गांव के एक किसान ने की थी मदद

दरअसल, बालासाहेब की बुरी हालत और गरीबी देखकर गांव के एक दयावान किसान गणेश कुलकर्णी ने उसे अपने पास बुलाया और उसकी मदद करने की ठानी. उन्होंने बालासाहब को अपने साथ रहकर मुनगा की खेती करने के लिए प्रेरित किया. उस समय बाला साहब के पास मुनगा के बीज भी नहीं थे, ना तो इतने पैसे थे कि वह बीज खरीद सके. उसकी मदद करने के लिए गणेश कुलकर्णी ने उसे ₹4000 दिए और उसकी मदद करके किस्मत बदल दी.

मुनगा की खेती करने के बाद बाला साहब को ₹50000 का मुनाफा हुआ, जिसके बाद उसने 4 एकड़ की बुवाई कर डाली. इतना ही नहीं बाला साहब ने पौधों की नर्सरी भी शुरू कर दी थी. यहीं से उसने पौधों की सप्लाई शुरू की और किसानों की जरूरत के अनुसार पौधे उपलब्ध कराए. इसके बाद बाला साहब इसी खेती से हर साल लगभग 15 लाख रुपए कमाते हैं. जिस बाला साहब के पास कुछ समय पहले खाने तक के लिए पैसे नहीं थे, वह आज सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं.

 

जज्बा: कभी यह दिव्यांग लड़का करता था दुसरो की मजदूरी, 1आईडिया से कमा रहा हर साल 15 लाख रूपये

 

झोपड़ी की जगह बनाया बंगला

बाला साहब ने उस जगह पर अपना बंगला भी बनाया है, जहां पर कभी उनकी झोपड़ी हुआ करती थी. उसी जगह पर उन्होंने बंगले पर मुनगा हाथ में लिए किसान का एक पुतला भी बनवाया. बाला साहब का कहना है कि, ” जिस मुनगा की खेती के बाद मैं करोड़पति बना हूं, वह मैं कैसे भूल सकता हूं. मैं आगे भी नई टेक्निक का इस्तेमाल करके इस तरह खेती करना चाहता हूं और आगे बढ़ना चाहता हूं “.

ड्रीम फाउंडेशन ने किया सम्मानित

वैसे तो महाराष्ट्र में मुनगा की खेती करने वाले कई किसान है, लेकिन बाला साहब ने कम उम्र में इतने अच्छे मुनाफे से खेती की और कारनामा दिखाया. उनके इस कारनामे के बाद उन्हें वसंतराव नाईक प्रतिष्ठान और ड्रीम फाउंडेशन द्वारा पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है. अब वह महाराष्ट्र में किसानों को मुनगा की खेती करने के तरीके समझाते हैं, और मार्गदर्शन भी करते हैं. वह इस सम्मान को आगे बढ़ने का एक रास्ता मानते हैं.

 

बाला साहब ने लिखी है तीन किताबें

बाला साहब से उन्नत बीज तैयार करने का तरीका सीखने के लिए विशेषज्ञ भी उनके पास जाते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने तीन किताबें भी लिखी है जो करोड़पति बनवेल शेवगा, अमरुद और सिताफल पर आधारित है. बाला साहब पिछले 5 सालों से मुनगा की खेती के चलते क्षेत्र को नई पहचान दे सके हैं और किसानों के लिए एक प्रेरणा भी बन गए हैं.

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लाखों किसानों का किया है मार्गदर्शन

सभी किसानों का कहना है कि, ” बाला साहब पाटिल ने उन्हें निराश जिंदगी से उबारा और कर्जे से मुक्ति दिलाई है. जो किसान पहले कर्जा लेकर खेती करते थे, उन्हें अब कर्जा लेने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने एक लाख से ज्यादा किसानों का मार्गदर्शन कर उनकी सहायता की है, मराठवाड़ा में खासकर सूखा पीड़ितों के इलाकों में उन्होंने हजारों किसानों को लाभ पहुंचाया है”.

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

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