फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, मिले हजारों फर्जी दस्तावेज

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने लखनऊ यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. तीन साल से लगातार डिग्री, अंकपत्र और प्रमाणपत्र जैसे फर्जी दस्तावेज बना रहे गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एसटीएफ ने आलमबाग से तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। तीनों के खिलाफ आलमबाग थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस टीम को आरोपियों के कमरे से कंप्यूटर, स्टैम्प, नंबर मशीन, प्रिंटर और इंक पैड समेत अन्य सामान बरामद हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक लखनऊ के आलमबाग थाना क्षेत्र में विश्वजीत कुमार उर्फ दद्दा अपने दो अन्य साथियों के साथ फर्जी मार्कशीट प्रिंटिंग मशीन के जरिए तैयार करता था. फिर तैयार की गई नकली डिग्री को वो पैसे लेकर बेच देता था.

सूचना मिलने पर यूपी एसटीएफ ने मारा छापा

फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, मिले हजारों फर्जी दस्तावेज

इसकी सूचना मिलने पर यूपी एसटीएफ ने जब छापा मारा तो इनके पास से सैकड़ों की तादाद में मार्कशीट, सर्टिफिकेट और डिग्री बरामद हुई है. इनकी प्रिटिंग इस तरह से की गई थी जो देखने में एकदम असली डिग्री की तरह थी. ये शातिर अपराधी हूबहू मास्टर डिग्री और फर्जी दस्तावेज तैयार कर देते थे और फिर उसे बेच देते थे.

फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, मिले हजारों फर्जी दस्तावेज

कई नामी यूनिवर्सिटी के दस्तावेज बरामदलखनऊ विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई हाई स्कूल और इंटर कॉलेज के माइग्रेशन सर्टिफिकेट, डिग्री समेत  अन्य दस्तावेज एसटीएफ की टीम ने बरामद किए हैं.अब इस मामले में पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है. पकड़े गए आरोपियों  की पहचान सुनील कुमार शर्मा उर्फ ओम दादा, लल्लन कुमार, विश्वजीत कुमार श्रीवास्तव निवासीगण आलमबाग के रूप में हुई है.

10 से 20 हजार रुपये में बनाते थे फर्जी दस्तावेज

फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, मिले हजारों फर्जी दस्तावेज

एसटीएफ ने दावा किया कि पकड़े गए शातिर अभियुक्त 800 से ज्यादा लोगों को फर्जी दस्तावेज दे चुके हैं। ऐसे में अधिकतर दस्तावेज निजी कंपनियों में नौकरियों के लिए लगाये गए हैं। आरोपी सुनील उर्फ ओम दादा ने पूछताछ के दौरान बताया कि उनका गिरोह 10 से 20 हजार रुपये में कॉलेज के फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को सौंपते थे। सर्टिफिकेट लेने वाला व्यक्ति जिस भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी की जरूरत बताता था, उसे वहीं का नकली दस्तावेज तैयार कर के दे दिया जाता था। गिरफ्त में आए गिरोह के मुताबिक, फर्जी दस्तावेज अधिकतर निजी कम्पनियों में नौकरी करने वाले लोग बनवाते थे। इसकी वजह यह है कि प्राइवेट कंपनियों में शैक्षिक दस्तावेजों की जांच नहीं होती है