R Ashwin: लंदन के द ओवल में खेले गए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 में आर अश्विन को अंतिम ग्यारह से बाहर कर दिया गया था. इसे लेकर कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ की जमकर आलोचना हुई. इतना ही नहीं फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली करारी शिक्सत के बाद से तो कई दिग्गज क्रिकेटर अब इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. इस लिस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर और अपने दौर के दिग्गज बल्लेबाज रहे सुनील गावस्कर का भी नाम शामिल हो गया है. उन्होंने आर अश्विन (R Ashwin) के साथ हुए बर्ताव को लेकर कुछ ऐसा बयान दे दिया है जिसके बारे में जानने के बाद आप भी भावुक हो जाएंगे. क्या है इससे जुड़ा पूरा मामला आइये जानते हैं.
WTC फाइनल में टीम इंडिया की हार के बाद सुनील गावस्कर का फूटा गुस्सा
दरअसल WTC फाइनल में आर अश्विन की नज़रअंदाजगी बार-बार फैंस ही नहीं बल्कि भारतीय और विदेशी दिग्गजों को भी चुभ रही है. सुनील गावस्कर का मानना है कि भारत में किसी दूसरे टॉप क्रिकेटर के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया गया है, जैसा ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (R Ashwin) के साथ किया गया है.
टीम इंडिया के हार की सबसे बड़ी वजह गावस्कर समेत कई दिग्गज उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका ना देना मानते हैं. उन्हें फाइनल से बाहर रखने के फैसले को भारत और ऑस्ट्रेलिया के कई पूर्व क्रिकेटरों ने गलत बताया था.
नंबर-1 स्पिनर के साथ ऐसा बर्ताव किया गया जैसा किसी के साथ नहीं- सुनील गावस्कर
हाल ही में सुनील गावस्कर ने इस मामले पर मिड-डे के लिए अपने कॉलम में लिखा,
“आधुनिक युग में किसी भी अन्य शीर्ष-श्रेणी के भारतीय खिलाड़ी के साथ इस तरह से बर्ताव नहीं किया गया जैसा आर अश्विन (R Ashwin) के साथ किया है. भारत ने टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के नंबर एक गेंदबाज को प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी, जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम में 5 बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और यही खिलाड़ी कंगारू टीम की जीत की वजह भी बने. पहली पारी में ट्रेविस हेड का शतक और दूसरी पारी में एलेक्स कैरी व मिचेल स्टार्क की पारियां. सब जानते हैं अश्विन बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को जल्द आउट कर देते हैं.”
वो टीम में होता तो क्या पता क्या हो सकता था- सुनील गावस्कर
सुनील गावस्कर यही नहीं रूके. उन्होंने इसी सिलसिले में आगे लिखा है कि,
“अगर आर अश्विन टीम में होते तो कौन जानता है कि क्या हो सकता था. वह बल्ले से भी योगदान दे सकते थे. आप बताइए अगर आईसीसी रैंकिंग में नंबर-1 बल्लेबाज अगर टीम में होता और उसे सिर्फ इसलिए बाहर कर दिया जाता कि उसने पहले ग्रीन टॉप विकेट या स्पिनर्स की मददगार विकेट पर रन नहीं बनाए हैं? विश्वास के साथ कह सकता हूं, ऐसा नहीं होता.”
पहले भी आर अश्विन के साथ हो चुकी है नाइंसाफी
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब आर अश्विन (R Ashwin) को इस तरह से नज़रअंदाज किया गया हो. इससे पहले भी उनके साथ कई मौकों पर इस तरह का बर्ताव किया गया है. बीते साल इंग्लैंड में खेली गई 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में भी उन्हें अंतिम ग्यारह का हिस्सा नहीं बनाया गया था. जिसके बाद टीम इंडिया के मैनेजमेंट को काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद उन्हें एक बार फिर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जैसे मुकाबले में नज़रअंदाज कर दिया गया.
इस दिग्गज खिलाड़ी के टेस्ट करियर पर नजर डालें तो उन्होंने 92 मैचों में 23.93 की औसत और 51.84 की स्ट्राइक-रेट से गेंदबाजी करते हुए 474 विकेट झटके हैं. इस दौरान उन्होंने 32 बार एक पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट अपने नाम किए हैं. इसके बावजूद उन्हें बड़े मौकों पर नजरअंदाजगी का सामना करना पड़ रहा है.
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