नई दिल्ली: मजबूरी और जरूरत दोनों ही ऐसी चीज है, जिससे कई बार इंसान भटकने पर मजबूर हो जाता है और ना चाहते हुए भी ऐसे कामों को करता है, जिसे वह नहीं करना चाहता है। तो आज हम आपको ऐसे ही एक वाक्ये के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे सुनते ही आपका दिल पिघल जाएगा।
जहां एक 9वीं के छात्र के पास अगले साल की पढ़ाई के लिए नोटबुक्स खरीदने के पैसे नहीं थे। जिसकी वजह से वह छात्र आम के पत्तों से बनी झालर को बेचने के लिए हुबली आया था। वहीं जब इस पूरी घटना के बारे में जब एक पुलिस वाले को पता चला और छात्र की ये दशा देखी। तो पुलिस वाले ने छात्र की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाये।
लॉकडाउन के बाद परिवार में आया वित्तीय संकट
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हुबली से 20 किमी दूर तादासीनकोप्पा गांव के कुमार को पढ़ाई में काफी दिलचस्पी है। लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद उसके परिवार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। जिसके बाद छात्र को अपने स्कूल की फीस का प्रबंध करना काफी मुश्किल हो गया। छात्र सरकारी हाई स्कूल में पढ़ाई कर रहा है, लेकिन उसे नोटबुक और बाकी स्टेशनरी ख़रीदनी थी, जिनके लिए उसके पास पैसे नहीं थे।
झालर बेचने के लिए हुबली आया छात्र
पैसों के प्रबंध के लिए वह आम के पत्तों से बनी झालर बेचने के लिए अपनी चाची के साथ हुबली आया था। वहीं जब वह शहर के संगोली रायन्ना सर्कल में था, इस दौरान तब हुबली ईस्ट ट्रैफिक पुलिस स्टेशन के ट्रैफिक सिपाही शंभू राडर ड्यूटी पर थे। उन्होंने छात्र को दो बड़े बैग्स के साथ देखा और उसके बारे में पूछताछ की। लड़के और उसकी चाची ने पुलिस वाले को बताया कि चूंकि यह छुट्टी का दिन था। वे हुबली में आम के पत्तों की बनी झालर बेचकर पैसे कमाने आए हैं। जिससे उन्हें परिवार और उनके स्कूल के खर्च का भी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
ट्रैफिक सिपाही ने की मदद
छात्र की पूरी बात सुनने के बाद ट्रैफिक सिपाही शंभू उसे पास के एक बुक स्टॉल पर ले गया और उसके लिए नोटबुक और पेन का एक पैकेट खरीदा और उसे दे दिया। ये दोनों चीजें पाते ही लड़के के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान वापस लौट आई। जिसके बाद ट्रैफिक सिपाही शंभू ने कहा कि उन्होंने झालर बेचने वाले लड़के पर ध्यान दिया और पढ़ाई में उनकी रुचि के बारे में पता किया और उसे नोटबुक और पेन का एक पैकेट खरीद कर दिया। इससे शायद बच्चे की कुछ मदद हो पाए।