ऋषभ पंत के संघर्ष की कहानी: प्रैक्टिस के बाद पार्लर में सोते थे पंत, माँ करती थी गुरूद्वारे में लोगों की सेवा

ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, 6-7 साल पहले एक कैंप में पंत के पिता ने दोनों को मिलाया था। पंत को दिल्‍ली में कोचिंग लेनी थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ राजधानी आ गए। पंत ने एक अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शानदार शतक जड़े और प्‍लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया।

ब्रिस्बेन टेस्ट में मिली जीत

ऋषभ पंत के संघर्ष की कहानी: प्रैक्टिस के बाद पार्लर में सोते थे पंत, माँ करती थी गुरूद्वारे में लोगों की सेवा

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन टेस्ट में मिली जीत के हीरो ऋषभ पंत ने इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा पल बताया। पंत ने 89 रनों की नाबाद पारी खेलकर बता दिया कि वो महेंद्र सिंह धोनी का स्थान भरने की कोशिश में लगे हुए हैं। पंत की जिंदगी, तमाम जद्दोजहद के बीच अपने हुनर को निखारने की कहानी है। उत्तराखंड के रुड़की में रहने वाले पंत का परिवार उन्‍हें दिल्‍ली क्रिकेट की टॉप एकेडमी में भर्ती कराना चाहता था। पंत ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष की कहानी बताई थी।

प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना है

ऋषभ पंत के संघर्ष की कहानी: प्रैक्टिस के बाद पार्लर में सोते थे पंत, माँ करती थी गुरूद्वारे में लोगों की सेवा

पंत ने स्टार स्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं स्कूल से प्रैक्टिस करने चले जाता था। उस समय ऐसा नहीं सोचा था कि प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना है, लेकिन पिता का मन था कि मैं क्रिकेटर ही बनूं। मैंने एक टूर्नामेंट के 5 मैचों में 115 रन बनाए थे। इसके लिए मुझे मैन ऑफ द सीरीज मिला था। फिर मेरा नाम होने लगा। रुड़की में लोग मुझे जानने लगे और मैं लोकल क्रिकेट खेलने लगा।’’

रुड़की से दिल्ली आने के बारे में पंत ने कहा, ‘‘सुबह में रोडवेज की बस चलती थी। सुबह के 2 या 2:30 बजे बस पकड़ता था। सर को बोलता था कि मैं दिल्ली में ही हूं। बस से उतरकर सीधे प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाता था।’’

एक वीडियो गेम पार्लर  में सोता था

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पंत ने आगे बताया था, ‘‘उस समय हाईवे नहीं बना था। जाने में 6 घंटे लगते थे। मैं दिल्ली भी आता था तो फिक्स नहीं था कि कहां रूकना है। मैं गुरुद्वारे में अकेले रुक जाता था। वहां पर एक वीडियो गेम पार्लर था। रात को एक-दो घंटे वीडियो गेम खेलता था। पार्लर वाले से बातचीत हो गई थी। मैं वहां हमेशा जाता था इसलिए उसके यहां ही सो जाता था। मुझे मम्मी और पापा अकेले नहीं आने देती थी। मम्मी मेरे साथ आती थी। वो प्रैक्टिस के दौरान क्या करती। इसलिए गुरुद्वारे में लोगों की सेवा करती थी। वहां सबकी मदद करती थी।’’

ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा

ऋषभ पंत के संघर्ष की कहानी: प्रैक्टिस के बाद पार्लर में सोते थे पंत, माँ करती थी गुरूद्वारे में लोगों की सेवा
ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, 6-7 साल पहले एक कैंप में पंत के पिता ने दोनों को मिलाया था। पंत को दिल्‍ली में कोचिंग लेनी थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ राजधानी आ गए। पंत ने एक अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शानदार शतक जड़े और प्‍लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया। इसके बाद जल्‍द ही उन्‍हें दिल्‍ली कैंट के एयरफोर्स स्‍कूल में दाखिला मिल गया। फिर ऋ‍षभ ने पीछे मुछ़कर नहीं देखा। अंडर-19 वर्ल्‍ड कप 2016 में नेपाल के खिलाफ 18 गेंदों में हॉफ सेंचुरी जड़कर नया रिकॉर्ड बना दिया था।

नामीबिया के खिलाफ शतक

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इसी टूर्नामेंट में पंत ने नामीबिया के खिलाफ शतक जड़कर टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचने में मदद की। उसी दिन इंडियन प्रीम‍ियर लीग में पंत को दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स ने 1.9 करोड़ रुपए में खरीदा। बेहद आक्रामक अंदाज में बल्‍लेबाजी करने वाले ऋषभ 2016-17 क्रिकेट सत्र में झारखंड के खिलाफ 48 गेंदों में शतक जड़कर तहलका मचा दिया था।

उन्‍होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्‍ट्र के खिलाफ तिहरा शतक भी जड़ा था। इसके बाद पंत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने नाम को चमकाने के लिए मेहनत करने लगे। आज वे टीम के बेहतरीन युवा खिलाड़ियों में एक हैं।

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