भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों में महंगाई ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बुर्फू, लास्पा और रालम ग्रामसभाओं में जरूरी सामान छह से आठ गुना तक महंगा बिक रहा है। मुनस्यारी में 20 रुपये किलो मिल रहा नमक सीमा के गांवों में 130 रुपये किलो के भाव खरीदने को लोग मजबूर हैं। यही हाल रोज इस्तेमाल होने वाले अन्य जरूरी सामान का भी है। प्याज 125 रुपये तो सरसों तेल का दाम 275 रुपये किलो पहुंच गया है। चीनी 150 रुपये तो दाल 200 रुपये किलो बिक रही है।
तेजी से बढ़ रहे हैं इस गांव में कीमतें
भारत-चीन सीमा पर हर साल मार्च से नवंबर तक तीन ग्रामसभाओं के 13 से ज्यादा तोक (छोटे-छोटे गांव) के लोग माइग्रेशन करते हैं। इस दौरान सेना की कई चौकियों से भी सैनिक नीचे आ जाते हैं इसलिए ये सीमा के प्रहरी भी हैं। खराब रास्ते और कोरोना के कारण इस बार माइग्रेशन पर आने ग्रामीण महंगाई से त्रस्त हैं। सड़क से 52 से 73 किमी तक दूरी बसे ग्रामीणों का कहना है यदि सरकार उनके लिए उचित इंतजाम नहीं कर सकती तो आगे माइग्रेशन मुश्किल होगा।
सामान | साल 2019 | 2020 | 2021 |
नमक | 60 | 70 | 130 |
दाल मलका | 80 | 90 | 200 |
मोटा चावल | 50 | 80 | 150 |
चीनी | 70 | 90 | 150 |
तेल सरसों | 90 | 110 | 275 |
आटा | 50 | 70 | 150 |
प्याज | 60 | 90 | 125 |
महंगाई बढ़ने के मुख्य तीन कारण
- 1: पैदल रास्ते टूट चुके हैं। इस कारण सभी सामान घोड़े और खच्चर वालों से खरीदना पड़ता है। पहले लोग खुद पैदल भी सामान लाते थे।
- 2: कोरोना के बाद मजदूरों ने ढुलाई भाड़ा दोगुना कर दिया है। साल 2019 में प्रति किलो 40 से 50 रुपये भाड़ा था। अब ये 80 से 120 रुपये तक है।
- 3: कोरोना के कारण नेपाल से आने वाले मजदूरों की संख्या काफी कम हो गई। नेपाल मूल के मजदूर सस्ते में मिल जाते थे।