कोरोना जैसी महामारी को खत्म करने के लिए देश में बहुत जल्द कोरोना के टीके लगने शुरु होने वाले है। ऐसे में ये आंकड़ा लगाना बहुत कठिन है कि किस तक ये टीका पहुंच पाएगा और किस तक नहीं। ऑक्सफोर्ड.एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित व पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही ‘कोविशील्ड‘ वैक्सीन व भारत बाॅयोटेक की पूर्णतः स्वदेशी ‘कोवैक्सीन‘ को विशेषज्ञ समिति ही हरी झंडी मिल गई है, अब भारतीय ड्रग कंट्रोलर की अंतिम मंजूरी का इंतजार है। इसके अलावा दो अन्य कंपनियों के टीकों को मंजूरी के प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन हैं। इस बीच सबसे अहम सवाल यह है कि क्या कोरोना का टीका देश के 130 करोड़ लोगों को निशुल्क लगेगा।
टीकाकरण में लगेगी काफी रकम
आपको बता दें कि कोरोना से बचाव के टीकाकरण में काफी लागत है, जिसके कारण इसके लिए काफी लागत भी देनी होगी। हर्षवर्धन ने ट्वीट किया कि कोविड-19 टीकाकरण के पहले चरण में देश भर में प्राथमिकता वाले लाभार्थियों को नि:शुल्क टीका मुहैया कराया जाएगा। इनमें एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम मोर्चे के दो करोड़ कर्मी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि प्राथमिकता वाले 27 करोड़ लाभार्थियों को जुलाई तक किस तरह से टीका लगाया जाएगा, उसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।इसी बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राजेश टोपे ने अपील की है कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महाराष्ट्र में गरीब लोगों को कोविड-19 टीका नि:शुल्क मिले।
कोविशील्ड को मिलेगी मंजूरी
देश में कोविशील्ड वैक्सीन को सबसे पहले मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसका निर्माण कर रही सीरम इंस्टिट्यूट के मुताबिक कोविशील्ड की कीमत अन्य कंपनियों की वैक्सीन के मुकाबले कम होगी।
इसके एक डोज की कीमत करीब 500 रुपये होगी, वहीं फाइजर के एक डोज की कीमत 19.50 डॉलर यानी करीब 1450 रुपये और मॉडर्ना की वैक्सीन की कीमत 25 से 37 डॉलर यानी 1850 से 2700 रुपये के बीच होगी।
ये भी एक वजह है कि ‘कोविशील्ड‘ भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताई जा रही है। प्रत्येक व्यक्ति को कोविशील्ड के दो डोज लगाने होंगे यानी एक व्यक्ति के टीके का खर्च एक हजार रुपये हो सकता है।