भोजनालय

गुजरात में महिलाओं की छोटी शुरुआत ने बनाया लाखो कमाने वाला नामी भोजनालय. अक्सर लोगों की ख्वाहिस होती है कि वो जिंदगी में कुछ बड़ा मुकाम हासिल करे लेकिन कुछ लोग ही अपने मन मुताबिक अपनी इच्छा को पूरी कर पाते है. कभी किस्मत खुद चलकर आती है तो कभी मेहनत के दम पर लोग अपने मुकाम को हासिल करते हैं . आज हम आपके लिए ऐसी ही कहानी लेकर आये है जिसमें महिलाओ के छोटे से समूह ने अपनी मेहनत के दम पर लाखों की कमाई वाला नामी भोजनालय खड़ा कर दिया.

भोजनालय

आज हम बात करने वाले है गुजरात के डांग जिले की, जहाँ महिलाओं के छोटे से समूह ने अपनी छोटी सी  शुरुआत को एक बड़े मुकाम तक पहुंचा दिया

कहानी है गुजरात के डांग जिले की

भोजनालय

कहानी है, साल 2007  गुजरात के डांग जिले की जहां एक आदिवासी महिलाओं के एक छोटे से समूह ने एक भोजनालय खोलने का फैसला किया. डांग में वंसदहस के समीप गंगपुर इलाके में ‘नहरी‘ नाम से इनके भोजनालय की शुरुआत हुई.

आपको बता दें की नहरी शब्द का अर्थ आदिवासी भाषा में ‘मेहमान के लिए खाना’ होता है. यहां के कार्यकताओ द्वारा एक आइडिया सोचा गया कि क्यों ना खाने का मेन्यु कुछ अलग तरीके से बनाया जाय. इस आइडिया के चलते निश्चय किया गया की खाना एक परंपरागत शैली में पकाया जाय. इसलिए इस भोजनालय के मैन्यू में सिर्फ एक थाली का रखने का फैसला हुआ. इस थाली को ‘डांग थाली’ के नाम से जाने जाना लगा. इस थाली में चावल, हरी सब्जियां, काली दाल, बांस का आचार, हरी चटनी और लाल मिर्च परोसी जाती है।

साल 2007 में एक स्वयं सहायता समूह की कुछ आदिवासी महिलाओं ने एक छोटा सा भोजनालय खोलने का निश्चय किया। गुजरात के वंसदहस के पास गंगपुर नामक स्थान पर “नहरी” नाम से इनकी शुरुआत हुई। आदिवासी भाषा में नहरी का अर्थ ‘मेहमान के लिए खाना’ होता है। इस भोजनालय की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहां एकदम पपंपरागत शैली में खाना पकाया जाता है। यहां खाने में बस एक ही मेन्यू है, जिसका नाम है आदिवासी ‘डांगी थाली’। इस थाली में चावल, चावल, हरी सब्जियां, काली दाल, बांस का आचार, हरी चटनी और लाल मिर्च परोसी जाती है।

परंपरागत भोजनालय

भोजनालय

खाने के साथ इस भोजनालय की बनावट भी परंपरागत तरीके से की गयी है. इस भोजनालय की बनावट देखने में  जितनी साधारण लगती है उतनी ही अलग है. यहां पर महिलाएं पारंपरिक लिबास में खाना परोसती हैं. इस छोटी सी झोपडी में बने भोजनालय को देखकर आप सोच में पड़ जायेंगे की इस भोजनालय का मुनाफा लाखों में है.

एक भोजनालय से 13 भोजनालय तक का सफर

इस भोजनालय ने अपने शानदार भोजन के दम पर अब तक 13 ब्राँच खोल ली है. ये ब्रांच आज के समय में 3 जिलों में चलती है, साथ ही हर भोजनालय  की मासिक आय 50 हजार के करीब होती है. अपनी कामयाबी को आगे बढ़ाते हुए नहरी कम्युनिटी ने फूड ट्रक भी शुरू कर दिया है. इनका ये फूड ट्रक आपको साप्ताहिक बाजार के पास अपने लजीज खाने को परोसते हुए मिल जायगा. आज के समय में ये भोजनालय एक नामी कंपनी के रूप में निखर कर आया हैं.

2007 में की गयी एक छोटी से शुरुआत आज एक नामी ब्रांड के रूप में सबके सामने है.

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