कहते परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता। कभी न कभी उसका फल जरूर मिलता है। सच्चे मन से की हुई मेहनत सफल होती है। ऐसी बातो को कुछ साबित कर के दिखाया है बिहार के लाल बालबांका तिवारी ने। वह आर्मी मे लेफ्टिनेंट बने हैं। वह एक समय नमकीन की फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से यह सब हासिल कर दिखाया है। कहते हैं जीत हमेशा संघर्ष की होती है। बताते हैं आज आपको बालबांका तिवारी के जीवन के संघर्ष के बारे में कैसे उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
ट्यूशन पढ़ाकर निकाला घर का खर्च
गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम विजय शंकर तिवारी है। उन्होंने अपने बेटे के लिए कहते हैं कि उसने बहुत संघर्ष किया है। जिसका फल उन्हें पासिंग आउट परेड पास कर लेफ्टिनेंट बनने पर मिला है। उनका कहना है कि वह किसान हैं। एक किसान होने के कारण से हमेशा उन्हें पैसे की कमी का सामना करना पड़ा। आर्थिक स्थिति भी सही नहीं होने की वजह से बालबांका तिवारी ने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई के खर्च निकाला करते थे।
नमकीन की फैक्ट्री में किया था काम
बालबांका तिवारी के पिताजी ने बताया कि जब वह उड़ीसा काम करने गए थे, उस समय उनके साथ परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उनके बेटा भी उनके साथ गया था। दोनों वहां मिल कर काम करते थे। वह बताते हैं कि साल 2008 में बालबांका ने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। उसके बाद से हीं वह वहां चले गए थे तथा वहीं रहकर नमकीन की फैक्ट्री में कार्य करते थे। साल 2010 में बालबांका ने वहीं रहकर 12वीं की शिक्षा पूरी की।
28 वर्ष की उम्र में आर्मी में बने लेफ्टिनेंट
विजय शंकर तिवारी ने बताया कि साल 2012 मे बालबांका ने दानापुर में आर्मी की रैली की बहाली निकाल कर आर्मी में सिपाही के तौर पर बहाल हुए। उसके बाद साल 2012 में भोपाल में उनकी पोस्टिंग सेना EME केंद्र में हुई। उसके बाद चार वर्ष परीक्षा देने के बाद उन्होंने वर्ष 2017 मे IMA मे सफलता प्राप्त किया। इसके साथ ही वह एसीसी में सम्मिलित हो गए। अब वह 28 वर्ष की उम्र में आर्मी में लेफ्टिनेंट बने हैं।