Door To Hell: हम धर्म-ग्रंथों में स्वर्ग और नर्क की बहुत बाते होती है। लेकिन किसी को नहीं पता कि ये कैसे होते है या यहाँ कैसा अनुभव होता है। असल में नर्क की जो बातें हमने सुनी है वह काफी भयावह और डरावनी होती है। जहां कोई भी नहीं जाना चाहता है। कहा जाता है कि ये सब मरने के बाद ही मिलता है। लेकिन अगर हम कहे की यह सब इसी धरती पर मौजूद है तो क्या आपको यकीन होगा? नहीं ना, लेकिन धरती पर ही नर्क का दरवाजा (Door To Hell) मौजूद है। तो आइए जानते है उस जगह के बारे में।
धरती पर ही मौजूद है नर्क में जाने का दरवाजा
नर्क के बारे में आपने कई बार सुना होगा। लेकिन किसी ने देखा नहीं है। धरती पर भी नर्क का दरवाजा मौजूद है. इसकी कहानी काफी चौंकाने वाली है. वहां जाने वाला कोई भी व्यक्ति कभी जिंदा वापस नहीं आता, ना ही उसका शव मिलता है और ना ही उसके बारे में कुछ पता चलता है। हालांकि, हैरान करने वाली बात ये है कि नर्क का दरवाजा (Door To Hell) कोई जादुई या चमत्कारी चीज नहीं है। वैज्ञानिक इसका रहस्य पहले ही बता चुके हैं। तो आइए जानते हैं कहां है नर्क का दरवाजा और क्या है इसका रहस्य?
तुर्कमेनिस्तान में रेगिस्तान के बीच मौजूद है नर्क का दरवाजा
साढ़े तीन लाख वर्ग किलोमीटर में फैले रेगिस्तान के बीचों-बीच एक गड्ढा नजर आता है। जिसमें आग की लपटें धधक रही होती हैं। और अगर कोई आपसे कहे कि ये आग 50 सालों से जल रही है। ये जगह है मध्य एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान में मौजूद दरवाजा गड्ढे की। नर्क के दरवाजे का रहस्य मध्य एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान में नर्क का दरवाजा (Door To Hell) मौजूद है। दरअसल, तुर्कमेनिस्तान में मौजूद रेगिस्तान को नर्क का दरवाजा कहा जाता है।
1971 से जल रही है नर्क की आग
काराकुम रेगिस्तान का रहस्य काफी चौंकाने वाला है। यहां एक बड़ा गड्ढा है, जिसमें हमेशा आग जलती रहती है। सालों से जल रही यह आग पानी डालने से भी नहीं बुझती है। यही है वह काराकुम रेगिस्तान में नर्क का दरवाजा (Door To Hell)। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह आग पिछले 50 सालों से जल रही है। काराकुम रेगिस्तान में एक बड़ा गड्ढा है। दरअसल यह कहानी 1971 में शुरू हुई थी। इसी दौरान तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में प्राकृतिक गैस की खोज हुई। तभी यहां एक बड़ा विस्फोट हुआ और 65 फीट गहरा गड्ढा बन गया. इस गड्ढे से मीथेन गैस लीक होने लगी।
क्या है 50 सालों से जल रही इस आग का रहस्य?
यह मीथेन गैस धरती के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती थी। ऐसे में वैज्ञानिकों ने मीथेन गैस को दबाने के लिए यहां आग लगा दी। 1971 में लगी यह आग आज भी जल रही है। इस गड्ढे से लगातार मीथेन गैस निकलती रहती है जो आग में बदल जाती है। गड्ढे में मौजूद गैस अभी खत्म नहीं हुई है। काराकुम रेगिस्तान में यह गड्ढा 229 फीट चौड़ा और 65 फीट गहरा है। यहां से हमेशा मीथेन और सल्फर की गंध निकलती रहती है जिसकी बदबू आस-पास के इलाकों में भी महसूस की जा सकती है। यही वजह है कि इस गड्ढे को नर्क का दरवाजा (Door To Hell) कहा जाता है।
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