Film Industry Mourn: जहां एक तरफ आज होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं, बॉलीवुड में आज मातम छाया हुआ है। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से एक दुखद (Film Industry Mourn) खबर सामने आ रही है। अचानक आई इस खबर ने सभी को परेशान कर दिया है। इस दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्माता की मौत ने आलिया भट्ट और कियारा अडवाणी को भी दुखी कर दिया है।
अयान मुखर्जी के पिता देब का निधन
दरअसल हम जिस दिग्गज कलाकार के निधन (Film Industry Mourn) की बात कर रहे हैं वह और कोई नहीं बल्कि देब मुखर्जी हैं। देब का 14 मार्च को मुंबई में निधन हो गया। वह दिग्गज फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी के बेटे और नॉर्थ बॉम्बे दुर्गा पूजा समारोहों में एक प्रमुख व्यक्ति थे। वह निर्देशक अयान मुखर्जी के पिता भी हैं। दिग्गज अभिनेता देब मुखर्जी का शुक्रवार को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके प्रवक्ता ने जूम से पुष्टि की कि उम्र संबंधी बीमारियों के कारण शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया।
बतौर अभिनेता की थी करियर कि शुरुआत
मुखर्जी परिवार का हिस्सा रहे देब फिल्म निर्माता अयान मुखर्जी के पिता और आशुतोष गोवारिकर के ससुर थे। देब मुखर्जी का अंतिम संस्कार 14 मार्च को शाम 4 बजे जुहू स्थित पवन हंस श्मशान घाट (Film Industry Mourn) पर होगा। यह बेहद दुखद है कि होली के दिन परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अयान मुखर्जी के पिता थे देब। देब मुखर्जी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता की थी। उन्होंने ‘संबंध’ से अपनी शुरुआत की, और ‘एक बार मुस्कुरा दो’ और ‘जो जीता वही सिकंदर’ जैसी सफल फिल्मों में काम किया।
काजोल से भी था देब का ख़ास कनेक्शन
इतना ही नहीं उन्हें आखिरी बार विशाल भारद्वाज की 2009 की फिल्म कमीने में एक विशेष भूमिका में देखा गया था। जिसमें शाहिद कपूर मुख्य भूमिका में थे। सिनेमा के अलावा, उन्होंने अन्य कार्यों में भी सफलता हासिल की। देब अयान मुखर्जी के पिता थे, जिन्होंने ब्रह्मास्त्र और वेक अप सिड जैसी फिल्में बनाई (Film Industry Mourn) थीं। जबकि वह काजोल के चाचा थे। उनकी बेटी सुनीता की शादी निर्देशक आशुतोष गोवारिकर से हुई है। देब मुखर्जी लंबे समय से ‘नॉर्थ बॉम्बे सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल’ का आयोजन करते आ रहे हैं। जो मुंबई की सबसे बड़ी दुर्गा पूजाओं में से एक है।
इन फिल्मों में किया देब मुखर्जी ने काम
देब मुखर्जी ने 60 और 70 के दशक में कई (Film Industry Mourn) फिल्मों में काम किया। लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। वह कराटे (1983), बातों बातों में (1979), मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978), हैवान (1977), किंग अंकल (1993), बंधु (1992), आंसू बने अंगारे (1993), ममता की छांव में (1989) और गुरु हो जा शुरू (1979) जैसी फिल्मों में नजर आए।
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