जानियें आखिर क्यों एक्ट्रेस को मिलती है हीरो से कम फीस

बॉलीवुड में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के फीस में इतना फर्क क्यों है?’ ये सवाल सालों से बॉलीवुड से पूछा जाता रहा है, लेकिन आज तक इसका सटीक जवाब नहीं मिल पाया है. बहरहाल, ये हम नहीं कह रहे, लेकिन अभिनेताओं के मुकाबले अभिनेत्रियों को मिलने वाले पैकेज को देखकर तो यही कहा जा सकता है.आइए आज हम आपकों इस फीस की बात से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बताते है.

फीमेल डायरेक्टर और प्रोड्यूसर

जानियें आखिर क्यों एक्ट्रेस को मिलती है हीरो से कम फीस

फिल्म इंडस्ट्री में फीमेल प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स, स्क्रिप्ट राइटर्स और टेक्निशियंस बेहद कम हैं. इसीलिए आपने देखा होगा औरतों के ऊपर बहुत कम ही फिल्में बनती है. यही वजह है कि एक्ट्रेस और उसके काम को कम आंका जाता है और उसके मुताबिक उन्हें फीस भी कम ही दी जाती है.साउथ की  फिल्मों में नयनतारा और अनुष्का को प्रति फिल्म का 1.5 से 2 करोड़ रुपये मिलता है.

वहीं हीरों की फीस 20 से 30 करोड़ होती है.इसके अलावा हीरो हीरोइन की फीस को उनकी पिछली फिल्म के परफार्मेंश से भी आंका जाता है, जिसके आधार पर सेलेब्स की फीस को डायरेक्टर और प्रोड्यूसर डिसाइड करते हैं. इसी के साथ सेलेब्स की फीस इस बात पर भी डिपेंड करती है कि वो किस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं.

सीनियर एक्टर मोहनलाल मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के हाइएस्ट पेड एक्टर हैं और उनकी फीस 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं उनसे कम एक्सपीरियंस वाले तेलुगु एक्टर राणा दग्गुबती को एक फिल्म के लिए 5 करोड़ से ज्यादा मिलते हैं.

फिल्म इंड्स्ट्री तय करती है फीस

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आपकों बता दें कि तमिल फिल्मों के सेलेब्स को ज्यादा फीस मिलती है, जबकि मलयालम और कन्नड़ फिल्मों के हीरों हिरोइन को कम फीस मिलती है. फीस के मामले में हर फिल्म इंडस्ट्री के हिसाब से ही हीरो हीरोइन की फीस तय होती है.

एक्ट्रेस को केवल एक्साइटमेंट के लिए रखना

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अधिकतर फिल्में आदमियों पर ही आधारित होती है. इस तरह जब प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को मालूम होता है कि ये मेन सेंट्रिक फिल्म है तो उसमें वो मेल एक्टर्स को पैसों के साथ ही रोल में भी तवज्जो देते हैं. एक्ट्रेस का काम सिर्फ और सिर्फ एक्साइटमेंट लाने का होता है.

आपकों बता दें कि नयनतारा ऐसी इकलौती एक्ट्रेस हैं, जिन्हें तमिल फिल्मों में काम करने के लिए करीब 4 करोड़ रुपए मिलते हैं. कई बार प्रोड्यूसर्स को लगता है कि कुछ एक्ट्रेस की डिमांड इतनी कम होती है और इसीलिए वो उन्हें कम रुपयों में कास्ट करना चाहते हैं और वो राजी ना हुई तो दूसरी हिरोइन देख लेते हैं.

इसलिए वुमन पर कम बनती फिल्में

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प्रोड्यूसर्स को ऐसा लगता है कि डो फिल्में औरतों के ऊपर टिकी होती है. उनमें कमाई कम होती है. जिस कारण औरतों पर आधारित फिल्में कम बनती है. ऐसी फिल्में आज भी महज प्रयोग के तौर पर ही बनाई जा रही हैं। बाबुबली इसका एक उदाहरण है, जिसमें अनुष्का शेट्टी थी.

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बॉलीवुड की बात करें तो पिंक और दंगल जैसी फिल्मों में लीड रोल में वुमन ही हैं, लेकिन फिल्म का सारा क्रेडिट तो मेल एक्टर्स ही ले जाते हैं.

मेरा नाम दिव्यांका शुक्ला है। मैं hindnow वेब साइट पर कंटेट राइटर के पद पर कार्यरत...