Mamta Kulkarni : महाकुंभ में हर कोई सनातन और आध्यात्म के रंग में डूबा हुआ है। फिल्मी सितारे भी इसका हिस्सा बन रहे हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने महाकुंभ में आकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई और इसके बाद उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर संन्यास ले लिया। ममता कुलकर्णी ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया है। सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने कुंभनगरी आकर संन्यास की दीक्षा ली।
Mamta Kulkarni ने महाकुंभ में ली दीक्षा
दीक्षा के बाद अब ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) नाम बदलकर श्रीयामई ममतानंद गिरि हो गया है। संगम तट पर उनकी संन्यास दीक्षा हुई। शाम को किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में उनका पट्टाभिषेक हुआ। हर-हर महादेव के जयकारों के साथ धर्मध्वजा के नीचे अखाड़े में उन्हें पट्टाभिषेक कराया गया। जूना अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को दीक्षा दी। महाकुंभ में किन्नर अखाड़े में ठहरी एक्ट्रेस (Mamta Kulkarni) सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं।
सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो
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ममता (Mamta Kulkarni) ने महाकुंभ से कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किए। जिसमें वो भगवा वस्त्र पहने साध्वियों के साथ खड़ी नजर आईं। ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरी हो गई है। फिल्मों में अपनी बेहतरीन एक्टिंग और लुक से फैंस का दिल जीतने वाली 90 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ 2025 में सांसारिक मोह-माया को त्याग कर साधु धर्म का रास्ता चुना है। ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) को किन्नर अखाड़े ने दीक्षा देकर महामंडलेश्वर बनाया।
ममता ने संगम में जाकर किया पिंडदान
इस मौके पर ममता (Mamta Kulkarni) ने सबसे पहले संगम पर अपना और अपने परिवार का पिंडदान किया। महामंडलेश्वर बनने के अपने फैसले पर बात करते हुए ममता कुलकर्णी ने कहा,
‘सब कुछ महाकाल और आदिशक्ति की इच्छा है। मुझे कल ही महामंडलेश्वर बनने का अवसर मिला है। मैंने एक दिन सोचा कि इसे लूं या नहीं। जब मुझे पता चला कि किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर में किसी भी चीज पर कोई प्रतिबंध नहीं है। आप स्वतंत्र हो सकते हैं। आप धार्मिक रूप से कुछ भी कर सकते हैं। तब मैंने फैसला किया।’
ममता क्यों बनी महामंडलेश्वर?
महामंडलेश्वर बनने पर ममता (Mamta Kulkarni) ने कहा, ‘जैसे ग्रेजुएशन होता है, जब आप कॉलेज से निकलते हैं, मास्टर्स करते हैं, फिर आपको यूनिवर्सिटी से सर्टिफिकेट मिलता है। वैसे ही महामंडलेश्वर का सर्टिफिकेट होता है कि आपने 23 साल तक तपस्या की। यही मेरा पुरस्कार है।’
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