Movie 15th August: किसी भी फिल्म का जब नाम घोषित किया जाता है तो फैंस उस फिल्म के नाम के हिसाब से ही फिल्म की कहानी का आईडिया लगाने लगते हैं। जैसे ‘एलओसी’, ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’, ‘बॉर्डर’ इन फिल्मों का नाम सुनते ही आईडिया लग गया होगा की ये देश की सुरक्षा या फिर सेना से जुड़ी हुई फिल्में हैं। लेकिन कुछ फिल्मों के नाम ऐसे होते हैं जिसे सुनकर आप उस फिल्म की स्टोरी का सही आईडिया लगा ही नहीं सकते। जैसे की एक फिल्म है ’15th अगस्त’। इस फिल्म का नाम सुनते ही लग रहा है कि ये कुछ आजादी की कहानी से संबंधित है या फिर ये किसी क्रांति से जुड़ी हुई है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इस फिल्म की कहानी में आजादी या फिर क्रांति का कोई संबंध है ही नहीं।
’15 अगस्त’ का आजादी से नहीं है कोई संबंध
साल 1993 में विक्की रनावत के निर्देशन में एक फिल्म बनाई गई थी जिसका नाम था ’15 अगस्त’ (Movie 15th August), फिल्म के रिलीज होने से पहले कई पोस्टरों में फिल्म के नाम को तिरंगे के रंग में लिखा गया था और चूंकी फिल्म का नाम 15 अगस्त था इसलिए दर्शकों ने मान लिया था कि इस फिल्म का जरूर आजादी की कहानी से कोई कनेक्शन होगा, कुछ ने सोचा की ये फिल्म आजादी दिलाने वाले वीरों की कहानी बयां करेगी। लेकिन जब ये फिल्म रिलीज हुई और लोगों ने इसे देखा तो हर कोई हैरान रह गया। दरअसल फिल्म का सिर्फ नाम ही 15 अगस्त था बाकी इसमें ना कोई आजादी की कहानी थी और ना ही इसका दूर दूर तक आजादी से कोई संबंध था।
फिल्म 15 August में लीड़ रोल में थे रॉनित रॉय
ये फिल्म (Movie 15th August) करीब 2 घंटे 48 मिनट की है। फिल्म में लीड़ रोल में उस समय के सुपरस्टार रॉनित रॉय हैं। इसके अलावा टिस्का चोपड़ा, शक्ति कपूर, कुनिका सदानंद, गिरिजा शंकर, प्रेम चोपड़ा, सई जाफरी जैसे बड़े कलाकार भी इस फिल्म का हिस्सा रहे हैं। फिल्म में आपको गृह मंत्री के रोल में प्रेम चोपड़ा की जबरदस्त एक्टिंग देखने को मिलेगी एवं इसके साथ ही रामू चौधरी के रूप में शक्ति कपूर ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है। आईएमडीबी पर इस फिल्म को 10 में से 5.7 की रेटिंग मिली है।
फिल्म 15 August की कहानी में हैं कई ट्विस्ट
इस फिल्म को लेकर कई लोगों का मानना है कि ये सिर्फ एक एक्शन फिल्म (Movie 15th August) है जबकि ऐसा हरगिज नहीं है, क्योंकि फिल्म में कई सारे पहलु दिखाए गए हैं। एक्शन के साथ साथ फिल्म में सस्पेंस, प्यार और कॉमेडी भी है। फिल्म की कहानी के आगाज में विक्रम नाम का एक व्यक्ति एक पुलिस वाले का कत्ल होता हुआ देखता है, अपने आंखों के सामने कत्ल होता हुआ देख वो काफी ड़र जाता है और थाने पहुंचकर इसकी शिकायत एक इंस्पेक्टर से करता है। लेकिन पुलिस आरोपी को पकड़ने के बजाय उसी व्यक्ति को पकड़ लेती है। इसके बाद कहानी में कई मोड़ आते हैं, बीच बीच में फिल्म में काफी मसाला भी डाला गया है। आखिर में विलेन हीरो के भाई को मौत के घाट उतार देता है और फिर हीरो विलेन से बदला लेने की ठान लेता है।
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