दान सिंह दिल्ली मेट्रो में कार्यरत थे. सब ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक लॉकडाउन लग जाने से उनकी नौकरी चली गयी.जिसके बाद दान सिंह को दिल्ली से अपने गाँव लौटकर जाना पड़ा. गाँव में खाली बैठेने के दौरान उनके दिमाग में अपने गाँव से ही कुछ नया करने का विचार आया.
इसी विचार के चलते दान सिंह ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के नौवाड़ा गांव में ही पहाड़ी घास से हर्बल चाय बना कर उसका होलसेलिंग का बिजनेस करने का फैसला लिया. आइये जानते है सिंह अपने इस आइडिया से किस तरह से 1 लाख रूपये महीना कमाने लगे है.
दिल्ली में नौकरी करते हुए सोचते थे बिजनेस के बारे में
दान सिंह का कहना था की जब वो दिल्ली मेट्रो में नौकरी कर रहे थे, उस दौरान वो सोचते थे कि वो अपने गांव के लिए कुछ करें. लेकिन इस मुद्दे पर सही डिसीजन नहीं ले पा रहे थे.
दान सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, ”उत्तराखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या है. यहां अब बहुत कम ही युवा गांवों में बचे हैं, ज्यादातर काम के चलते बड़े शहरों में ही रहते हैं. जब मैं दिल्ली था तो सोचता था कि इनके लिए कुछ किया जाए, लेकिन कुछ निर्णय नहीं ले पा रहा था.”
एक्सपेरिमेंट हुआ सफल
बता दें कोरोना काल में लोग इम्युनिटी बूस्टर का विकल्प तलाश रहे थे, जिससे मार्केट में काढ़ा और हर्बल टी की डिमांड बढ़ गयी थी. इसी बीच सिंह ने इस ओर कुछ नया करने का सोचा.
जिसके बाद उन्हें अपने गांव में होने वाली घास के बारे याद आया, जिसे बुजुर्ग सर्दी-बुखार होने पर इस्तेमाल करते थे, जिसके इस्तेमाल से बड़े बुजुर्गो को खांसी में जल्दी आराम मिलता था.
अपनी सफलता के बारे में बताते हुए दान सिंह कहते है कि, ”एक दो बार एक्सपेरिमेंट के बाद मेरी चाय सही तरीके से बनने लगी. सबसे पहले मैंने अपने दोस्तों को इसके बारे में जानकारी दी. उन लोगों ने तत्काल ऑर्डर बुक कर लिया.
इससे मेरा मनोबल बढ़ा और मैं अब बड़े लेवल पर चाय तैयार करने लगा. इसके बाद फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर शेयर किया. लोगों को अपने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी. बड़ी संख्या में लोगों ने ऑर्डर करना शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद अमेजन से भी हमारी डील हो गई.”
सिंह ने 500 किलो चाय बेचने का टारगेट बनाया है. हम उनके बिजनेस को और ज्यादा सफल होने की कमाना करते है.
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