प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर के बेटे ने रचा इतिहास अमेरिका से मिली स्कॉलरशिप. कहते हैं ना अगर मन में दृढ़ निश्चय हों तो कोई भी इंसान बुलंदियों को छू सकता है. फिर चाहे वो किसी भी बैकग्राउंड से नाता रखता हों. अगर मेहनत करने का जज्बा मन में हो तो कुछ भी संभव है.

आज हम बात करेंगे बिहार के 22 वर्षीय युवा के बारे में, जिसने अपनी मेहनत के दम पर अमेरिका में स्कॉलरशिप हासिल कर ली.

प्रवासी मजदूर

आईआईटी के साथ अमेरिका में हासिल की स्कॉलरशिप

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इस 22 वर्षीय युवक का नाम राहुल कुमार है. बिहार के नालंदा जिले से नाता रखने वाले इस युवक की घर की स्थिति ठीक ना थी, इनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जो एक पावर लूम में काम करते हैं. बिहार में काम ना मिलने के कारण उन्हें सूरत जाकर काम करना पड़ा था. जिसकी वजह से इनपर अपने चार भाई बहनों की जिम्मेदारी आ गयी थी.

लेकिन राहुल ने अपनी समस्याओं को किनारे रखकर अपने स्थिति को चुनौती दी. राहुल शुरू से ही पढाई में तेज़ थे. उन्होंने B. Tech in Metallurgical and Materials Engineering में वर्चुअल डिग्री कार्यक्रम के तहत ग्रेज़ुएशन की डिग्री हासिल की.

गोल्ड मैडल से भी सम्मानित

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राहुल का शुरू से सामजिक कल्याण के लिए प्रयासरत रहे हैं. उनके द्वारा कई सामाजिक योगदान किये गए हैं. उनके इसी उत्साह ने उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), IIT रुड़की का महासचिव बनाया. कुमार ने अब संयुक्त राज्य अमेरिका की Utah यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने के लिए छात्रवृत्ति हासिल की और सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में वहां पढ़ाएंगे.

किया एक हजार छात्रों का नेतृत्व

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आईआईटी  रुड़की के प्रोफेसर अजीत ने बताया कि राहुल में शुरू से नेतृत्व करने काबिलियत थी. राहुल के बारे में अपनी राय रखते हुए अजीत कहते हैं कि

”अपने महान नेतृत्व और मैनेजमेंट स्किल्स के साथ उन्होंने लगभग 1,000 छात्रों की एक टीम का नेतृत्व किया और विभिन्न इवेंट्स को अंजाम देने में कई सरकारी अधिकारियों और NGO के साथ संपर्क किया”

अक्सर लोग कुछ ना पाने की वजह अपनी बैकग्राउंड को बताते हैं, लेकिन राहुल ने लोगों की सोच को मात देते हुए अपना शानदार इतिहास रच दिया. अगर हिम्मत हो तो कुछ भी संभव हो जाता है.