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अगर आप एक महिला है और भारत में रहती है तो आपके लिए भारत की कानून व्यवस्था में कुछ ऐसे कानून बने है जिससे आपके अधिकारों का हनन कोई नहीं कर सकता. आज के दौर में भारत के अन्दर महिलाए पुरुषो के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है.

आजकल महिलाए पुरुषों से किसी भी मामलें में कम नहीं हो बात चाहें घर सँभालने के हो या घर चलाने की एक महिला दोनों कामो को बड़ी सहजता से  कर लेती है, लेकिन फिर भी महिलाओं के साथ उत्पीड़न, स्त्री द्वेष, महिलाओं का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, लिंग भेद जैसी समस्याओं से  गुजरना पड़ता है.

भारत की कानून व्यवस्था में महिला को कुछ क़ानूनी अधिकार भी मिले है जिनसे वो लिंग भेद से बच सकती है. आइये जानते है उन कानूनों के बारे में जो आपको पता हो तो आप अपने साथ हो रहे अन्याय को रोक सकते है

 घरेलु हिंसा से सुरक्षा का अधिकार

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यदि की महिला के साथ उसके ससुराल में घरेलु हिंसा की जा रही हो तो इस स्थिति में वो महिला ‘घरेलू हिंसा अधिनियम 2005’ के तहत अपने साथ हो रही हिंसा के विरुद्ध शिकायत कर सकती है. इसके साथ ही nari.nic.in पर भी जानकारी ले सकती है.

समान वेतन का अधिकार

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समान पारिश्रमिक अधिनियम कें तहत किसी भी महिला को जहाँ वो कार्यरत है, उसके साथ लिंग भेद के कारणवश उसके दिए जाने वाले वेतन में भेदभाव नहीं किया जा सकता.

मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार

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अगर कोई महिला दुष्कर्म का शिकार हुयी है और वो थाने में शिकायत करने गयी है , तब वहां के थाना अध्यक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित कर उस महिला के एक वकील वयवस्था करें.

कार्य स्थल पर हुए उत्पीड़न कें खिलाफ अधिकार

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अगर किसी महिला के साथ उसके कार्यस्थल पर किसी प्रकार का यौन उत्पीड़न हुआ हो तो वो इसके खिलाफ यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है.

ये थे कुछ कानून जो भारत के संविधान के द्वारा महिलाओं को दिए गये. हम है  रोज कानून से जुड़े तथ्य आपके लिए लाते रहते है. इस तरह की कानून से जुड़ी जानकारी के लिए बने रहिये hind now के साथ.

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