भारत में एक ऐसा परिवार रहता है जिसकी सफलताओं की कहानी सुनते-सुनते आप हैरान रह जाएंगे. जी हां हरियाणा के जिंद जीले में रहने वाले इस परिवार में IAS और IPS समेत 11 फर्स्ट क्लास ऑफिसर मौजूद हैं. गौरतलब है कि इस पूरी सफलता के पीछे एक ऐसे व्यक्ति की अहम भुमिका है, जो खूद केवल चौथी क्लास तक ही पास हो पाए थे.
दरअसल हम बात कर करें हैं इस परिवार के सबसे बुजुर्ग चौधरी बसंत सिंह श्योंकद जी की जो बेशक खूद नहीं पढ़ पाए, लेकिन उन्होंने अपने परिवार को इस लायक बनाया कि उनका नाम जरूर रोशन हो सके और यकिनन ऐसा हुआ भी जब इसी परिवार के 11 सदस्य IAS और IPS बने. इसी सिलसिले में इस आर्टिकल को आगे बढ़ाते हुए इस पूरे परिवार की सफलता को डिटेल में जानते हैं..
11 ग्रेड वन अफसर का है ये परिवार
11 ग्रेड वन अफसरों का ये परिवार हरियाणा के जींद जिले के गांव डूमरखां कलां के रहने वाला हैं. इस परिवार में IAS और IPS की बात करें तो दो IAS और एक IPS समेत ग्रेड वन क्लास के 11 असफर शामिल हैं. बसंत सिंह का उठना-बैठना हमेशा ही ग्रेड वन अफसरों के साथ रहा था. इसीलिए वो अपने परिवार में अपने सभी बच्चों को ग्रेड वन अफसर बनाने की चाह रखते थे और जाते-जाते उन्होंने अपने परिवार में अपने सभी बच्चों को ग्रेडवन का अफसर बना भी दिया था.
इन अधिकारियों से भरा है घर
चौधरी बसंत सिंह के बेटे-बेटी, बहु और पोती ग्रेड वन अफसर हैं और उनके चारों बेटे IAS और IPS समेत ग्रेड क्लास वन अधिकारी हैं. जबकि बहु और पोता-पोती IAS हैं. वहीं उनकी पोती IRS अफसर है. बसंत सिंह के बड़े बेटे रामकुमार श्योकंद रिटायर्ड प्रोफेसर (Retired Professor) हैं और उनका बेटा यशेंद्र IAS है और बेटी अंबाला में बतौर रेलवे ASP तैनात है. इसके अलावा उनकी बेटी के पति BSF में IG हैं. वहीं चौधरी बसंत के दूसरे बेटे कम्फेड (Comfed) में GM थे और उनकी पत्नी Deputy DEO रह चुकी हैं.
इसके अलावा बहु-बेटे, पोता-पोती सभी किसी न किसी ग्रेड वन पोस्ट पर तैयात रहे हैं, तीसरे बेटे वीरेंद्र SE थे और उसकी पत्नी Indian Airlines में Deputy Manager रही हैं. बसंत सिंह के चौथे बेटे का नाम गजेंद्र सिंह है ये Indian Army में Colonel पद से रिटायर हुए हैं और वर्तमान में बतौर निजी Pilot सेवाएं दे रहे हैं.
सबने एक दूसरे को आगे बढ़ाने का उठाया जिम्मा
ये बात हर कोई जानता है कि जब आप कुछ बनना चाहते हैं तो घर वाले आपका साथ देते ही हैं. ऐसा ही कुछ इनके परिवार में देखने को मिला। जहां सभी घरवालों ने एक दूसरे को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया चौधरी बसंत ने अपने बच्चों को और उनके बच्चों ने अपने भाई-बहन और बच्चों को आगे बढ़ाया इतना ही नहीं उन्होंने दो पढ़ने और आगे बढ़ने वाले बच्चो को गोद भी लिया और उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाया है.