पूरी देश दुनिया में वैज्ञानिक लगातार अपने अथक प्रयासों से कोरोना वैक्सीन की खोज में लगे हुए थे, जिसके बाद उन्हें कठिन परिश्रम से सफलता भी प्राप्त हुई है। लेकिन शायद ही किसी को यह बात पता हो कि, कोरोना वैक्सीन की खोज में इंग्लैंड की एक पूर्व मिस इंग्लैंड का भी मुख्य योगदान है। पूर्व मिस इंग्लैंड को इस तरह से सराहनीय योगदान देते हुए लोग उन्हें प्रेरणास्त्रोत भी समझने लगे हैं। आइए जानते हैं पूर्व मिस इंग्लैंड और उनके योगदान के बारे में
2014 में मिस इंग्लैंड का खिताब अपने नाम पर किया
पूरी दुनिया में बड़े-बड़े वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की खोज के दौरान ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को विकसित करने वाली टीम में कैरीना भी शामिल थी। खोज में मुख्य योगदान देने वाली पूर्व मिस इंग्लैंड का नाम है डॉ. कैरिना टायरेल। 31 वर्षीय डॉ. कैरिना टायरेल ने साल 2014 में मिस इंग्लैंड का खिताब अपने नाम पर किया था। उस समय मिस वर्ल्ड का खिताब हासिल करने में उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ था।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मेडिकल की डिग्री हासिल की
31 वर्षीय डॉ. कैरिना टायरेल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मेडिकल की डिग्री भी हासिल की है। इतना ही नहीं उन्होंने जूनियर डॉक्टर के रूप में काम करके अनुभव हासिल किया और पब्लिक हेल्थ में मास्टर्स डिग्री ली। इतने अनुभव के चलते उन्हें वैक्सीन विकसित करने वाली टीम का हिस्सा बनाया गया। इसके बाद उन्होंने अपना योगदान दिया।
पूर्व मिस इंग्लैंड पिछले 1 साल से ब्यूटी और फैशन की दुनिया से दूर होकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन को लेकर रिसर्च करने में लगी हुई थी। जारी रिसर्च के दौरान उन्होंने बताया कि, तरह से उनके द्वारा रिसर्च और कार्यों की वजह से दुनिया में सबसे पहले ब्रिटेन में ही लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाया गया। उनके इस सराहनीय कार्य को देखते हुए लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं और उन्हें प्रेरणा स्त्रोत भी मान रहे हैं।
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ काम शुरू किया
कैरिना टीम के साथ मिलकर सभी ब्रिटिश नागरिकों के लिए सुरक्षित कोरोना वैक्सीन टीके को बनाने पर योगदान दे रही थी। उन्होंने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ मिलकर काम शुरू किया।
उन्होंने सुनिश्चित किया कि, सभी वैक्सीन के ट्रायल के लिए पर्याप्त फंडिंग भी उपलब्ध करवा सके। इसके बाद उन्होंने ट्रायल के आधार पर सटीक वैक्सीन की खोज पर भी काम शुरू कर दिया।
कैरिना ने कहा कि, ‘हम सालों से लगातार मेहनत में लगे हुए थे कि, एक सुरक्षित और असरदार वैक्सीन तैयार हो और उसे मंजूरी भी दे दी जाए। हमने वैक्सीन को लेकर 728 स्टडीज करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की, सुनिश्चित करने के लिए कि ये वैक्सीन बच्चे, बूढ़े, प्रेग्नेंट महिलाओं के अलावा सभी आम नागरिकों पर सुरक्षित और प्रभावी रहे। जिसके बाद हमें सफलता प्राप्त हुई’।