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दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला की रेप की अर्जी पर कहा, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, सहमती से बनाए शारीरिक संबध रेप की श्रेणी में  नहीं  आता. हाईकोर्ट के जज ने रेप के एक विवाद पर टिप्पणी देते हुए अपनी बात रखी है. उनकी तरफ से कहा गया है की शादी का वादा करके लम्बे समय से महिला के साथ शारीरिक संबधं बनाना रेप की श्रेणी में नहीं आता.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए केस को ख़ारिज कर दिया. क्या है रेप का आरोप लगाने वाली इस महिला का मामला आइये जानते है हमारी इस खास रिपोर्ट में

महिला ने लगाया रेप का आरोप

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दरअसल एक महिला द्वारा अपने प्रेमी पर शारीरिक शोषण के आरोप लगाये गए थे. इस महिला ने कोर्ट को बताया था की 2008 में उसके साथ पहली बार शारीरिक संबंध बनाये गये थे, जिसके बाद ये सिलसिला चलता रहा साथ ही 3-4 महीने बाद उसके प्रेमी ने उससे शादी करने का वादा किया था.

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लेकिन उसके प्रेमी द्वारा शादी से इंकार करने पर महिला ने उसपर रेप का आरोप लगा कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी. इस पर ट्रायल कोर्ट ने कहा था, महिला से किसी तरह  का शादी का वायदा नहीं किया गया था बल्कि शारीरिक संबध बनाये जाने के बाद शादी को लेकर बातचीत हुआ करती थी.

कोर्ट के द्वारा महसूस किया गया, महिला ने शादी के वायदे को लेकर शारीरिक संबध नहीं बनाये थे बल्कि वो पहले से उसके साथ शारीरिक संबंध में थी.

जस्टिस विभु बाखरू ने टिप्पणी की

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जब महिला ने अपने मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो इस पर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विभु बाखरू ने  केस को ख़ारिज करते हुए टिप्पणी की. उनके द्वारा कहा गया की यदि एक बार शादी का वायदा करके शाररिक संबध बना लिया जाय तो ये रेप की श्रेणी में आता है अथार्त ये अपराध माना जाएगा.

इसके बाद जस्टिस बाखरू कहते है कि ”कुछ मामले में शादी का वायदा करके  लोग दूसरी पार्टी को जिस्मानी संबंध बनाने को मजबूर करते है जबकि दूसरी पार्टी ऐसा नहीं चाहती तब इस दशा में ये रेप माना जाएगा.” जिसके बाद आरोपी को दोषमुक्त मानकर बरी कर दिया गया.